शिवराज ने किया रियलिटी चेक: जब कृषि मंत्री ने खुद 700 लाभार्थियों को फोन करके पकड़ा भ्रष्टाचार, बताया पूरा वाकया

शिवराज ने किया रियलिटी चेक: जब कृषि मंत्री ने खुद 700 लाभार्थियों को फोन करके पकड़ा भ्रष्टाचार, बताया पूरा वाकया

Shivraj Singh Chouhan: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक योजना का रियलिटी चेक करने के लिए करीब 700 लाभार्थियों को फोन करके करप्शन पकड़ा. उन्होंने बताया कि कैसे एक जिले में ही 700 लाभार्थियों में से आधे लोगों का फोन नंबर गलत निकले और सब्सिडी जा चुकी थी.

Shivraj Singh chouhanShivraj Singh chouhan
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 4:21 PM IST

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को आगामी रबी सीजन के लिए रणनीति बनाने पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसके उद्घाटन सत्र में बोलते हुए शिवराज सिंह ने खुद ही बड़े भ्रष्टाचार की पोल खोल दी. इस दौरान शिवराज ने एक वाकया साझा किया और बताया कि कैसे केंद्र से जारी होने वाली सब्सिडी में घपले किए जा रहे हैं. कृषि मंत्री ने खुद 700 लोगों को फोन करवाया और इसका रियलिटी चेक किया. उन्होंने बताया कि किस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा है. 

शिवराज ने करवाए 700 लाभार्थियों को फोन

कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, "मैं एक जिले का आपको हाल बता रहा हूं. छोटी-छोटी मशीनें हम किसानों को देते हैं. तो मैंने अपनी जानकारी के लिए एक जिले की सूची मंगाई. सूची मंगाने में ही मुझे पसीना आ गया जिले से, क्योंकि जिले के भाई लोग सूची देने को तैयार नहीं थे. बोले कि ढूंढ रहे हैं... दे रहे हैं." शिवराज ने आगे कहा, "तुमने पैसे दिए हैं. सीधे सब्सिडी दी है... और उसके बाद मैंने एक टीम बिठाई और कहा कि फोन करके इस किसानों से पता करो. पहले तो जो सूची भेजी वो बिना पते की थी, उनमें केवल नाम थे रामलाल, श्यामलाल, वही भेज दिए." शिवराज ने आगे बताया कि मैंने उनसे कहा कि लाभार्थियों के गांव का नाम, जिले का नाम भेजो और फोन नंबर भेजो. अब जब वो फोन नंबर आए तो मैंने 700 फोन करवाए.

लोगों को कुछ मिला नहीं और सब्सिडी चली गई

शिवराज सिंह ने आगे बताया कि उन 700 फोन में से लगभग 150 फोन नहीं लगे, नंबर गलत निकले और सिर्फ 550 फोन ही लगे. उनमें से 158 लोगों ने कहा कि हमें तो कुछ मिला ही नहीं और उनके नाम पर सब्सिडी चली गई. शिवराज ने कहा, "मैं यह इसलिए ध्यान दिला रहा हूं कि हम लोग सोचते हैं कि चलो यहां से पैसा भेज दिया संतुष्ट हो गए. दिल्ली वाले भी अपने कर्तव्यों की इति समझ लेते हैं कि पूरा हो गया. लेकिन वेरिफाई नहीं होता ढंग से. किसान कॉल सेंटर पर भी कई तरह की शिकायतें आती हैं. 

'दलहन मिशन कहते रहेंगे मगर रकबा नहीं बढ़ेगा'

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज ने आगे कहा कि हमें दलहन का रकबा बढ़ाना है. प्रोटीन की हमें जरूरत है. देश का बड़ा हिस्सा शाकाहारी है जो दालों से प्रोटीन प्राप्त करता है. मगर हम आयात कर रहे हैं. एलोपीज भी आ रहा है. बाकी दालें भी आ रही है. प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि इसमें आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है. सेल्फ सफिशिएंट हम कैसे हों? उसके लिए ठोस रणनीति आपने आज बनाई होगी. नहीं तो हम कहते रहेंगे 'दलहन मिशन' मगर एरिया (रकबा) बढ़ेगा नहीं. 

कृषि मंत्री ने आगे कहा, "अभी भी मैं चिंतित हूं. खरीफ की फसलों में भी दलहन का इलाका कम हो गया है. कर्नाटक में अहर कम हो गई है. अलग-अलग राज्यों की स्थिति है ये लेकिन उसके लिए करना क्या पड़ेगा? किसान भी आर्थिक पक्ष सोचता है. अगर धान और गेहूं में ज्यादा पैसा मिलेगा तो दाल क्यों बोएगा किसान? हमको रणनीति ऐसी बनानी पड़ेगी कि नंबर 1, 2, 3, 4 उपाय करेंगे तो दलन मिशन सफल होगा. उसके बारे में भी ठोस सुझाव कहेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है.

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