हर साल भाई-बहन के प्रेम को समर्पित खास रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर एक रक्षा सूत्र (राखी) बांधकर उसके लिए मंगलकामना करती है. वहीं, भाई अपनी बहन की रक्षा का प्रण लेता है. इस वर्ष रक्षाबंधन 19 अगस्त (सोमवार) को यानी कल है, लेकिन इस बार इस पर्व पर भद्रा का साया भी पड़ रहा है. शास्त्रों में भद्रा काल में भाई को राखी बांधना निषेध है. जानिए आखिर भद्रा कौन है और रक्षाबंधन पर इसका का साया कितनी देर रहेगा.
रक्षाबंधन पर भद्रा काल 19 अगस्त की रात्रि 2 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इस दौरान यह अपनी अगल-अलग चरणों (पूंछ और मुख अवस्था) में रहेगा. रक्षाबंधन पर सुबह 9 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक पर भद्रा पूंछ चरण रहेगा. इसके तुरंत बाद 10 बजकर 53 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख चरण रहेगा. इसके बाद दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर भद्रा काल खत्म हो जाएगा.
हालांकि, इस बार भद्रा काल का रक्षाबंधन पर कोई असर नहीं होगा. दरअसल, शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा पाताल में निवास करेंगी, जिससे धरती पर होने वाले मंगल कार्यों में बाधा नहीं होंगी. इसलिए रक्षाबंधन पर आप किसी भी शुभ मुहूर्त में भाई को राखी बांध सकती हैं.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा ग्रहों के राजा सूर्य देव की पुत्री और सबसे ठंडे ग्रह शनिदेव की बहन हैं. शनि की तरह भद्रा का स्वभाव भी क्रूर माना जाता है. हालांकि, भद्रा का अर्थ कल्याण से जुड़ा है, लेकिन इसके उलट भद्रा काल में शुभ कार्य करना मना है.
भद्रा राशि के अनुसार त्रिलोक में भ्रमण करती हैं. जब भद्रा पृथ्वीलोक में होती है तो शुभ कार्यों में बाधा आती हैं. भद्राकाल को बहुत अनिष्ट माना गया है, जिसके चलते शुभ और मांगलिक कार्य निषिद्ध हैं. ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी लोक की भद्रा सभी कार्यों के लिए विनाशकारी होती है. ऐसे में यदि कभी अगर आप भद्राकाल की अवधि में भाई को रक्षा सूत्र बांधने का विचार आ रहा हो तो रुककर थोड़ा इंतजार कर लीजिए और अशुभ समय बीते के बाद ही भाई को राखी बांधें.
कहा जाता है कि रक्षाबंधन पर अशुभ साये के बीच सूर्पणखा ने भद्रा नक्षत्र में ही रावण को राखी बांधी थी, जिसके बाद मर्यादापुरुषोत्तम राम और लंकापति रावण में भीषण युद्ध हुआ और रावण को अपने प्राण गंवाने पड़े. एक मान्यता के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि द्वापर युग में द्रौपदी ने अपने भाई को गलती से भद्रा काल में राखी बांधी थी. इसके बाद द्रौपदी के जीवन में बहुत समस्याएं आईं. यहां तक कि द्रौपदी का चीरहरण हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप महाभारत का युद्ध हुआ.