दिवाली आने में कुछ ही हफ़्ते बचे हैं, लेकिन इस बार मिट्टी के दिये बनाने वालों के चेहरे पर पहले जैसी रौनक नजर नहीं आ रही है. वजह है इस साल की बाढ़ और बारिश, जिसने उनकी रोजी-रोटी तक को हिला कर रख दिया है. दरअसल, पंजाब के फिरोजपुर में पिछले 35 सालों से कुम्हार परिवार दिवाली से 3 महीने पहले मिट्टी के दिये और बर्तन बनाने का काम शुरू कर देते हैं. लेकिन इस बार हालात अलग हैं, जिसे लेकर कुम्हार परिवार काफी परेशान है.
पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और पंजाब में बाढ़ आने के बाद अच्छी मिट्टी बिल्कुल नहीं मिल रही. पानी उतरने के बाद जो मिट्टी और रेत बची है, वो भी खराब हो चुकी है. पहले जिस मिट्टी की ट्राली सस्ती मिल जाती थी, उसकी कीमत अब 10 हज़ार रुपये तक पहुंच चुकी है. वहीं, जो मिट्टी मिल रही है, वो भी पहले जैसी नहीं है.
राज कुमार जो पिछले कई सालों से दिये बना रहे हैं, उन्होंने बताया कि बारिश और मिट्टी न मिलने के कारण इस बार काम में बहुत मंदा है. पहले हम 3–4 महीने पहले ही काम शुरू कर देते थे, लेकिन इस बार अभी शुरू हुआ है. अभी हम करवा चौथ का काम कर रहे हैं और दशहरे के बाद ही दियों का काम शुरू होगा. उन्होंने बताया कि पहले हम 2 लाख से ज़्यादा दिये बना लेते थे, लेकिन इस बार सिर्फ़ 60–70 हज़ार ही बना पाएंगे. इससे हमें बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.
दियों को रंगने का काम करने वाली अनामिका ने भी यही दर्द बयां की. उन्होंने कहा कि इस बार मिट्टी महंगी भी मिली और अच्छी भी नहीं है, जिसकी वजह से दियों में पहले जैसी चमक और फिनिशिंग नहीं आ रही है. अब हमें दिन-रात काम करना पड़ेगा ताकि दिवाली तक थोड़ा सामान तैयार कर सकें. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बाजार में चाइना से आए सजावटी सामान की भी भरमार है. ऐसे में लोग अक्सर वही खरीदते हैं और असली मिट्टी के दिये कम ही खरीदते हैं.
दिये बनाने वाली एक बच्ची कविता ने बताया कि वो पढ़ाई करने के साथ-साथ परिवार का हाथ भी बटाती हैं. उन्होंने कहा कि इस साल बारिश और बाढ़ के कारण दिए लेट बनाने शुरू हुए हैं, जिसकी वजह से उन्हें सुबह 4 बजे से रात के 9 बजे तक दिये बनाने पड़ रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बारिश होने की वजह से मिट्टी काफी महंगी मिल रही है. ऐसे में इस बार कमाई पर असर पड़ेगा. लागत निकालने के लिए इस बार वो पेंट किए हुए दिये 20 रुपये और नॉर्मल दिये 20 रुपये दर्जन के हिसाब से बेचेंगी. (अक्षय कुमार की रिपोर्ट)