
पंजाब में किसान बिजली संशोधन विधेयक-2025 और बीज विधेयक-2025 दो विवादास्पद कानूनों को लेकर आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं, जो सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है. दरअसल, अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर, राज्य भर के किसान 8 दिसंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. अधिक लोगों को शामिल करने के लिए राज्य के सभी ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ राज्य बिजली उपयोगिताओं के सभी संघ भी दोनों कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे.
इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे किसान यूनियन नेताओं का कहना है कि जितना ज़्यादा लोग अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करेंगे, सांसदों द्वारा उनकी आवाज़ सुने जाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी. आज यानी 1 दिसंबर को क्रांतिकारी किसान यूनियन के सदस्यों ने सांसदों को ज्ञापन सौंपकर उनसे आग्रह किया है कि वे इस मामले को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाएं और सरकार को कानूनों को वापस लेने के लिए राज़ी करें.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि सरकार ने 2003 में बिजली उत्पादन का निजीकरण किया था और अब वह इसके वितरण का भी निजीकरण करना चाहती है. इसके व्यापक परिणाम होंगे और इसे 2020-21 के तीन कृषि कानूनों की तरह ही सख्ती से वापस लेना होगा. कीर्ति किसान यूनियन के महासचिव राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि ये मुद्दे हम सभी को प्रभावित करते हैं. बिजली वितरण के निजीकरण से कॉर्पोरेट्स को बढ़त मिलेगी, जो अपनी शर्तें मनवाएंगे क्योंकि उनका एकाधिकार हो जाएगा, जिससे आम आदमी और किसानों पर भारी असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य बिजली क्षेत्र में क्रॉस-सब्सिडी को खत्म करना भी है, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं को ज्यादा बिजली दरें चुकानी पड़ेंगी, इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो बीएसएनएल के साथ किया, वही वे राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ करने का प्रस्ताव रखते हैं. निजी कंपनियां बिजली वितरण के लिए लाभदायक सर्किलों पर कब्जा कर लेंगी, और राज्य बिजली वितरण कंपनियों के पास गैर-लाभकारी सर्किल रह जाएंगे. धीरे-धीरे, इन बिजली वितरण कंपनियों का घाटा बढ़ता जाएगा और उन्हें बंद कर दिया जाएगा.
बीकेयू (एकता-दकौंडा) के सचिव अंग्रेज सिंह ने कहा कि हम बिजली संशोधन विधेयक-2025 के साथ-साथ बीज विधेयक पर भी सरकार से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि बीज कानून वैश्विक बीज निर्माताओं को कीमतें तय करने का अधिकार देगा. देश के बाहर रजिस्टर्ड और वहीं परीक्षण की गई बीज किस्मों को ही खेती की अनुमति दी जाएगी. ऐसे में किसानों को वैश्विक बीजों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि 8 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन के दौरान भी इन मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा.