एक तरफ देश में प्याज की महंगाई है, रेट 60-70 रुपये चल रहा है तो दूसरी ओर इसका निर्यात शुरू हो गया है. मलेशिया ने गुजरात से प्याज खरीदा है, जिससे दो महीने के अंतराल के बाद प्याज का निर्यात फिर से शुरू हो गया है. निर्यातकों ने कहा है कि खरीफ प्याज की आवक दो सप्ताह में ऊंचाई पर पहुंचने के बाद निर्यात की मात्रा में तेजी आने की उम्मीद है. इससे लोकल मार्केट में भी दाम गिरेंगे और लोगों को राहत मिलेगी.
कृषि जिंस निर्यातक संघ (एसीईए) के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश ने कहा कि हमें गुजरात से प्याज निर्यात करने के ऑर्डर मिले हैं. ये अचार वाले प्याज हैं, जिनका इस्तेमाल बैंगलोर के गुलाब प्याज (शॉलट) की जगह किया जा सकता है. बता दें कि गुजरात के प्याज का इस्तेमाल अचार के लिए किया जाता है और इसे बैंगलोर के गुलाब प्याज के विकल्प के तौर पर देखा जाता है.
उन्होंने कहा कि बैंगलोर के गुलाब प्याज की कीमत 1,300 डॉलर प्रति टन है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कर्नाटक में खरीफ की शुरुआती आवक खत्म हो चुकी है और कृष्णा नगर में अगले महीने देर से आवक होने की उम्मीद है. मदन प्रकाश ने कहा कि इसके बाद कीमतें 800 डॉलर प्रति टन तक गिर सकती हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस साल खरीफ प्याज की क्वालिटी अच्छी है और अगले सप्ताह आवक में तेजी आने की उम्मीद है.
ये भी पढ़ें:- प्याज की बढ़ी कीमतों से जल्द मिलेगा छुटकारा! 35 रुपये तक हो सकता है भाव
बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (एचपीईए) के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा कि मौजूदा समय में घरेलू कीमतें अधिक हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कीमतें 700 डॉलर प्रति टन से अधिक हैं. वहीं, वर्तमान में, महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव में अप्रैल के दौरान काटे गए प्याज के लिए मॉडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) 5,651 रुपये है और खरीफ प्याज का मॉडल मूल्य 4,500 रुपये प्रति क्विंटल है.
शाह ने कहा कि बुधवार को खरीफ प्याज का मॉडल मूल्य बढ़कर 4,600 रुपये प्रति टन हो गया था, जबकि अप्रैल में काटे गए प्याज के लिए यह 5,700 रुपये था. प्याज की कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर पर चल रही हैं. पिछले महीने बारिश के कारण फसल में देरी होने से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. खरीफ प्याज दिवाली के आसपास आ जाना चाहिए था. लेकिन अब ये नवंबर के अंत में आएगा और इस साल फसल अधिक होने के कारण कीमतों में तेजी से गिरावट शुरू हो जाएगी.
कृषि मंत्रालय की एक शाखा, क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप के अनुसार, खरीफ प्याज की बुवाई 3.82 लाख हेक्टेयर में हुई थी जबकि एक साल पहले यह 2.85 लाख हेक्टेयर थी. वहीं, प्याज की कीमतों में उछाल का दूसरा कारण 2023-24 के उत्पादन में 60 लाख टन की गिरावट है. कृषि मंत्रालय ने जून में समाप्त होने वाले 2023-24 सीज़न के लिए 24.24 मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि 2022-23 में यह 30.02 मीट्रिक टन था.
साथ ही 2022-23 में प्याज का उत्पादन अल नीनो के प्रभाव के कारण लंबे समय तक सूखा मौसम से प्रभावित हुआ, जिसके बाद भारत के प्याज उगाने वाले राज्यों में सूखे का असर रहा. अल नीनो जून 2023 में उभरा और इस साल अप्रैल में समाप्त हो गया.