ओडिशा में एमएसपी पर धान की खरीद जारी है. पर इसके साथ साथ ही धान खरीद को लेकर किसानों की तरफ से आ रही शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही है. धान खरीद में देरी, मंडियों में धान खरीद में देरी और मिलर्स की तरफ से अपनाई जा रही प्रथा कटनी-छंटनी से किसान काफी परेशान हैं पर सरकार का इस और ध्यान नहीं जा रहा है. किसानों की इस परेशानी को लेकर किसी भी प्रकार से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. कहीं से न्याय नहीं मिलता देख अब किसान खुद एकजुट हो रहे हैं और अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. नयागढ़ से ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है.
यहां कटनी-छंटनी प्रथा को तत्काल बंद करने की मांग करते हुए किसानों ने धरना दिया और विरोध प्रदर्शन किया. इस कटनी-छंटनी के खिलाफ किए जा रहे इस विरोध में जिले भर के किसानों ने हिस्सा लिया. जिले के सभी प्रखंडों के किसान जिला समाहरणालय पहुंचे और एकजुट होकर धरना दिया. विरोध कर रहे किसानों ने यह आरोप लगाया कि नयागढ़ जिले की मंडियों में धान के प्रत्येक पैकेट में कम से कम 8-10 किलो चावल 'कटनी चटनी' के रूप में काटा जाता है. मिलर्स द्वारा की जा रही इस मनमानी से किसानों को नुकसान हो रहा है.
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विरोध कर रहे किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कटनी-छंटनी के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. इस अवैध प्रथा के कारण किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि कई ऐसे किसान हैं जो कर्ज लेकर खेती करते हैं. इसके अलावा इस साल मौसम की मार का भी सामना कर रहे हैं. ऐसे में अलग से वजन में कटौती करने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. इसके अलावा मिल मालिकों ने वास्तविक किसानों के बजाय दलाल और बिचौलियों से धान खरीद है. जिससे कारण किसान बिचौलियों को कम कीमत पर अपने धान बेचने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि पड़ोसी राज्यों में भारी मात्रा में धान की तस्करी की जा रही है.
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किसानों ने आरोप लगाया कि उनकी इस गंभीर समस्या पर सरकार और अधिकारी दोनों ही आंखे बंद किए हुए हैं. हालांकि स्थानीय विधायक ने नयागढ़ के कलेक्टर को कटनी-छंटनी प्रथा को रुकवाने के लिए कहा और किसानों को भरोसा दिलाया की उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा. इसके बाद किसानों ने आंदोलन को खत्म किया. ओडिशा टीवी के अनुसार धरना दे रहे एक किसान ने कहा अगर कटनी-छंटनी बंद नहीं होगी तो वो मंडियों में महाभारत मचा देंगे और ओडिशा को युद्ध के मैदान में बदल देंगे. उन्होंने अधिकारियों पर लापरवाह होने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी की हम आंदोलन वापस ले रहें पर अगर यह प्रथा बंद नहीं होती है आंदोलन को और तेज किया जाएगा.