किसानों के मामले में सरकारी सहकारी संस्था एनसीसीएफ (NCCF) ने दूसरी सरकारी संस्था नेफेड (NAFED) को पछाड़ दिया है. मामला किसानों को जोड़ने का है. नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन यानी NCCF ने नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) से अधिक किसानों को अपने साथ जोड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीसीएफ के पास अभी नेफेड की तुलना में लगभग दोगुने किसान हैं. इसकी जानकारी केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने खुद संसद में दी है.
अमित शाह ने लोकसभा को बताया कि एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर 12,64,212 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल पर 6,75,178 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. दालों और मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल के तहत दोनों प्लेटफॉर्म लॉन्च किए गए थे.
सहकारिता मंत्रालय ने इथेनॉल उत्पादन के लिए अरहर, मसूर, उड़द और मक्का की खेती को बढ़ावा देने की पहल की है. इसके लिए पोर्टल लॉन्च किया गया है ताकि किसान उससे जुड़ सकें और सरकारी स्कीम का लाभ उठा सकें. इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस इसलिए है क्योंकि सरकार तेलों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करना चाहती है. इसके लिए देश में इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP) चलाया जा रहा है. इसमें अनाज, मक्का आदि से इथेनॉल बनाया जा रहा है और उसे पेट्रोल में मिलाया जा रहा है.
इस काम में किसानों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए एनसीसीएफ और नेफेड दोनों ने अपने-अपने वेब पोर्टल-ई-संयुक्ति और ई-समृद्धि लॉन्च किए हैं, जिससे किसान सहकारी समितियों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
इसके अलावा, दोनों एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर पहसे से रजिस्टर्ड किसानों से अरहर, उड़द, मसूर और मक्का की 100 फीसदी खरीद करने की बात दोहराई है. हालांकि, अगर कीमतें MSP से अधिक होती हैं तो किसान अपनी उपज खुले बाजार में बेचने के लिए आजाद हैं, जिससे उन्हें अधिक लाभ मिलने की संभावना बनती है.
किसानों के रजिस्ट्रेशन में एनसीसीएफ ने तेजी दिखाई है और सहकारिता मंत्री अमित शाह खुद भी अपने कार्यक्रमों में इस पोर्टल के जरिये किसानों को जुड़ने की अपील करते रहे हैं. पोर्टल पर किसानों के रजिस्ट्रेशन में इसलिए भी तेजी आई है क्योंकि सरकार ने दालों की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसकी 100 परसेंट तक खरीद की गारंटी दी है.
दालों की कीमतें अनाजों की तुलना में अधिक हैं और इथेनॉल उत्पादन की वजह से इसे प्राथमिकता दी जा रही है. इसलिए अधिक से अधिक किसान अपनी दाल की उपज बेचने और फायदा लेने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. इसके अलावा मक्का किसान भी अपनी उपज पर दोनों एजेंसियों को बेच सकते हैं. इसमें तीनों सीजन खरीफ, जायद और रबी में जिन किसानों ने पहले से रजिस्ट्रेशन कराया है, वे दोनों एजेंसियों को अपनी उपज बेच सकते हैं.