
उत्तर प्रदेश के मेरठ के गन्ना भवन पर भारतीय किसान यूनियन ( टिकैत गुट ) का अनिश्चितकालीन धरना जारी है. 8 दिनों से चल रहे किसानों के इस धरने में अभी तक किसी मांग पर सहमति नहीं बनी है. जिसे लेकर किसानों ने 21 दिसंबर यानी रविवार को महापंचायत का ऐलान किया था, जिसमें मेरठ और आसपास के जिलों से किसान बड़ी तादात में ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर गन्ना भवन पहुंचे थे. जिसमें BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी धरना स्थल पर पहुंचे. राकेश टिकैत ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर पिछले 8 दिनों से किसान यहां बैठे हुए हैं. लेकिन सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है.
बता दें कि ये अनिश्चितकालीन धरना गन्ने की कीमतों को लेकर है. इस मुद्दे को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि गन्नों की कुछ किस्नों को रिजेक्ट कर दिया गया है. साथ ही कागज़ों में भाव बढ़ा दिया गया है जिसे बाद में घटा भी दिया है. साथ ही उन्होंने मांग उठाई की माल ढुलाई का भाड़ा जो पहले था वही रहना चाहिए.
राकेश टिकैत ने कहा कि मुद्दा ये है कि जिस तरीके से मिल पर जब गन्ना तौला जाता है और अगर उसमें कुछ गन्ने ज्यादा होते हैं तो उसको वापस ले जाने के लिए कहा जा रहा है, जबकि पहले ऐसा था. पहले अगर गन्ना फालतू या ज्यादा होता था तो अगले तोल में लग जाता था, क्योंकि किसान के खेत में कांटा नहीं लगा हुआ है. वह पूरी तोल का गन्ना नहीं ला सकते. थोड़ा कम और ज्यादा हमेशा से आता रहा है, जितना आया उतना रजिस्टर में चढ़ा लें, अगर ज्यादा है तो उसको अगली पर्ची में एडजस्ट कर लें. अगर कम है तो वह भी अगली पर्ची में एग्जास्ट हो जाए. लेकिन अब अगर कुछ गन्ना ज्यादा है तो उसको वापस ले जाने के लिए कहा जाता है और उतारने के लिए कहा जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि गन्ने की कीमत 30 रुपये बढ़ाया गया जिसमें से 4 रुपये वापस ले लिया गया. वहीं, कई किसान रागिनी गाकर और नृत्य करके प्रदर्शन करते नजर आए. किसानों ने उप गन्ना आयुक्त के खिलाफ नारेबाजी भी की.
आपको बता दें कि किसान अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें पिछली तीन पेराई सत्रों में जिन नियमों के तहत गन्ना तौल क्रय केंद्रों पर गन्ना खरीद हो रही थी उसी व्यवस्था को इसी सत्र में लागू किया जाए. साथ ही तौल के दौरान किसानों का गन्ना अगर 18 क्विंटल से ज्यादा हो जाता है तो उसे खरीदा नहीं जा रहा है.
वहीं, SIR पर बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि जो वोट कट रहे हैं, वो ठीक है जो वोट है वह कट जाए हमारा क्या. हमारी तो दो वोट थी शहर में भी और गांव में थी. हमने गांव वाली वोटर लिस्ट को बरकरार रखा और शहर वाली से नाम कटवा ली. उन्होंने कहा कि ज्यादातर बीजेपी की वोट कटी हैं, जिससे नुकसान भाजपा को होगा क्योंकि जो गांव के बच्चे पढ़ने शहर में आए हैं वह ज्यादातर हिंदू हैं, जो बीजेपी को वोट देते थे.