Manoj Jarange Patil: कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल जिन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन में फूंकी नई जान 

Manoj Jarange Patil: कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल जिन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन में फूंकी नई जान 

इससे पहले भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे से बातचीत करके मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटिगरी में शामिल करने का वादा किया था. सीएम शिंदे के आश्वासन के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया था. लेकिन मनोज जारांगे ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. 

आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे पाटिलआंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे पाटिल
क‍िसान तक
  • Mumbai,
  • Jan 27, 2024,
  • Updated Jan 27, 2024, 10:03 AM IST

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल की पदयात्रा नवी मुंबई पहुंच चुकी है. इस आंदोलन में अगर कोई सबसे ज्यादा चर्चा में है तो वह हैं मनोज जारांगे पाटिल. फिलहाल शिंदे सरकार से मनोज जारांगे की बातचीत चल रही है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे से बातचीत करके मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटिगरी में शामिल करने का वादा किया था. सीएम शिंदे के आश्वासन के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया था. लेकिन मनोज जारांगे ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. आइए इस खबर में जानते हैं कि मनोज जारांगे आखिर हैं कौन.

कौन हैं मनोज जारांगे?

मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के मातोरी गांव के रहने वाले हैं. फिलहाल वे अपने परिवार के साथ जालना में रहते हैं. साल 2010 में जारांगे 12वीं क्लास में थे, इस दौरान उन्होंने पढ़ाई छोड़ी थी. फिर वे आंदोलन से जुड़ गए. उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए होटल में काम किया. साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया. फिर आरक्षण से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए जारांगे ने ‘शिवबा’ नामक संगठन बनाया. 

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अच्छी नहीं है आर्थिक स्थिति

अगर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति की बात करें तो वह कुछ खास अच्छी नहीं है. मालूम हो कि पाटिल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी. हालांकि, कुछ समय बाद वे कांग्रेस से अलग हो गए. साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया. 

जालना में भड़की थी हिंसा

बता दें कि पिछली बार आंदोलन के समय जालना में हिंसा भड़क उठी थी. जब बड़ी संख्या में पुलिस की एक टुकड़ी धरना स्थल पर पहुंची और कहा कि पाटिल की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. वहीं, पाटिल के समर्थकों ने जोर दिया कि वे प्राइवेट डॉक्टरों से उनकी जांच कराएंगे. इसके बाद भारी बवाल हुआ था.

जरांगे को फोन करने के लिए मजबूर हुए शिंदे

पिछले साल अगस्त में मराठा कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से समुदाय के आरक्षण की मांग उठाई थी. उस दौरान कार्यकर्ताओं की आवाज में पाटिल का एक वीडियो भी शामिल था. तब पाटिल की आवाज शिंदे तक नहीं पहुंच सकी. सरकार ने वादा पूरा नहीं किया. अब ठीक एक साल बाद सीएम शिंदे को पिछले हफ्ते पाटिल को फोन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे पाटिल से आंदोलन बंद करने का अनुरोध किया. पाटिल ने सीएम के अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया और जालना में सात अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया.

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