झारखंड के रवि ने खेती के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, 10000 किसानों को जैविक खेती से जोड़ा

झारखंड के रवि ने खेती के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, 10000 किसानों को जैविक खेती से जोड़ा

रवि सिंह चौधरी खुद खेती नहीं करते हैं, लेकिन 10 हजार से अधिक किसानों को खेती में माहिर बना चुके हैं. 30 किसानों को अपने साथ जोड़कर खेती करा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने धन्वंतरि नैचुरल फाउंडेशन के नाम से एक कंपनी भी बनाई है. यह कंपनी किसानों के खेती बारी के बारे में सलाह देती है.

सफल किसान रवि सिंह चौधरीसफल किसान रवि सिंह चौधरी
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Aug 05, 2024,
  • Updated Aug 05, 2024, 3:38 PM IST

देश में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो सबसे अधिक जरूरी है, क्योंकि हर किसी को तीन वक्त का खाना चाहिए. इस बात को समझते हुए झारखंड के बोकारो जिले के रहने वाले रवि सिंह चौधरी से 2017 में खेती की शुरुआत की. रवि सिंह ने खेती को लेकर कहा कि खाना जरूरी है पर सवाल यह है कि उगाएगा कौन. यह सोच कर उन्होंने खेती बाड़ी में कदम रखा. उन्होंने 50 डिसमिल जमीन से खेती की शुरुआत की. पर वह खेती पारंपरिक नहीं थी. उन्होंने पूरी सोच और समझ के साथ उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए खेती की शुरुआत की. 

आज रवि सिंह चौधरी खुद खेती नहीं करते हैं, लेकिन 10 हजार से अधिक किसानों को खेती में माहिर बना चुके हैं. 30 किसानों को अपने साथ जोड़कर खेती करा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने धन्वंतरि नैचुरल फाउंडेशन के नाम से एक कंपनी भी बनाई है. यह कंपनी किसानों के खेती बाड़ी के बारे में सलाह देती है और उन्हें फार्म स्थापित करने में, नई तकनीक को अपनाने में और एक बेहतर मॉडल अपनाने में मदद करती है. इस तरह से रवि सिंह चौधरी ने पहले खुद खेती की, खेती की बारीकियों को सीखा. इसमें आने वाली समस्याओं और उसे दूर करने के उपायों के बारे में जाना और अब दूसरे किसानों को मदद पहुंचा रहे हैं. 

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2018 में शुरू की जैविक खेती

रवि सिंह ने बताया कि 50 डिसमिल में उन्होंने पहले साल सामान्य खेती की. उसके बाद 2018 में उन्होंने ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की. ऑर्गेनिक पद्धति से उन्होंने खरबूज, तरबूज और स्वीटकॉर्न उगाए. इसके बाद अपने साथ काम करने वाले किसानों को भी खेती सिखाई. आज वे सभी किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं क्योंकि रवि ने उन किसानों के सिर्फ खेती करना नहीं बल्कि बाजार के मांग के हिसाब से खेती करना सिखाया. किसान अब एकड़ में सिर्फ एक फसल या सब्जी की खेती नहीं करते हैं, बल्कि उसमें विविधता रखते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई होती है. बाजार में हर किसी की मांग अलग-अलग समय पर बनी रहती है. 

2023 में छोड़ी सरकारी नौकरी

रवि सिंह चौधरी बीटेक करने बाद सरकारी नौकरी कर रहे थे. पर 2023 में उन्होंने खेती करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी. उनका कहना है कि सिर्फ खेत में खाद बीज डाल देना और पानी डाल देना खेती नहीं होती है. खेती का मतलब मिट्टी को समझना होता है. तब ही किसान अच्छी और गुणवत्तापूर्ण उपज हासिल कर सकते हैं. 2017 में खेती की शुरुआत करने के बाद पहली बार उन्होंने 2023 में पांच एकड़ में खरबूज और स्ट्रॉबेरी की खेती करके 12 लाख रुपये कमाए थे. वे बताते हैं कि चीजों को समझने में पांच साल लगे. तब जाकर अच्छी कमाई हुई. 

जैविक खेती की चुनौतियां

इसके बाद उन्होंने अपने साथ जुड़े किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए 'माई फैमिली फार्मर डॉट कॉम' के साथ काम करना शुरू किया. यह कंपनी मुंबई के लगभग 500 परिवारों को ऑर्गेनिक तरीके से उगाए गए अनाज और सब्जियां उपलब्ध कराती है. पर यह काम बहुत दिनों तक नहीं चल सका क्योंकि ग्राहक को कब क्या सब्जी खाने का मन कर जाए, यह कहना मुश्किल है. ऑर्गेनिक खेती के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि हर मौसम में आप हर सब्जी की खेती नहीं कर सकते हैं. क्योंकि ऐसा करने पर कीटों का प्रकोप खेत में होगा. 

अच्छी कीमत मिलना चुनौती

आज रवि किसानों के लिए काम कर रहे हैं. वह किसानों को अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए सलाह देते हैं. साथ ही उनके उत्पादों को अच्छा बाजार उपलब्ध कराने में मदद करते हैं. रवि का मानना है कि किसान के लिए अच्छी और गुणवत्तापूर्ण उपज हासिल करना एक चुनौती है, लेकिन उत्पाद को अच्छे दाम में बेचना और बड़ी चुनौती है. इसलिए किसानों को वे अपनी कंपनी के जरिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराते हैं. इस तरह से किसानों को भी आज अच्छी कमाई मिल रही है. उनके पास धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, रांची और जमशेदपुर के किसान हैं जो उनसे जुड़कर खेती करते हैं. 

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जैविक खेती पर लिखीं किताबें

रवि सिंह बताते हैं कि आज उनके सिखाए कई किसान सक्षम हो गए हैं. रवि बताते हैं कि वे खेती में हमेशा ही नए प्रयोग करते हैं. अब वो आयुर्वेद को कृषि में लेकर आए हैं. वो आयुर्वेदिक तरीके से खेती में कीट और बीमारियों को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है, इस पर भी काम कर रहे हैं. उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग पर दो किताबें भी लिखी हैं. कृषि संहिता और गौ संहिता. इन दोनों किताबों को 18 राज्यों के किसानों ने खरीदी है और उससे सीख कर कृषि की बेहतरीन तकनीक को अपना रहे हैं और पूर्ण जैविक खेती कर रहे हैं. उनका उद्देश्य खेती को कम खर्चीला बनाना है, इसके लिए वे लगातार किसानों को सलाह भी देते हैं. 

 

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