हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों पर शिकंजा कसते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. अब हरियाणा के किसानों के लिए पराली जलाना भारी पड़ सकता है. दरअसल पराली जलाने वाले किसानों पर शिकंजा कसते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों को मिलने वाले अलग-अलग सरकारी योजनाओं के लाभ को रोकने की योजना बना रहा है. विभाग के निदेशक नरहरि सिंह बांगर ने सभी कृषि उपनिदेशकों (डीडीए) से कहा है कि वे संबंधित उपायुक्तों से संपर्क कर विभाग को ऐसी सिफारिशें भेजें ताकि उल्लंघन करने वालों को फसल अवशेष (पराली) जलाने से रोका जा सके.
बांगर ने कहा कि पराली जलाने से काफी प्रदूषण फैलता है, जो लोगों के लिए बहुत हानिकारक होता है. वहीं पूरे प्रदेश में फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध है. उन्होंने बताया कि डीडीए को आदतन अपराधियों की एक सूची तैयार करने और 'मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल' पर उन्हें दिए जा रहे लाभों को रोकने के लिए डीसी से संपर्क करने के लिए कहा गया है. किसानों को इस पोर्टल के माध्यम से सभी लाभ मिलते हैं.
डॉ वज़ीर सिंह, डीडीए, करनाल ने कहा कि वो प्रदेश के उन सभी ऐसे किसानों की सूची तैयार कर रहे हैं जो बार-बार फसल अवशेष जलाते हैं. उन किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ मिलने से रोकने के लिए डीसी से सिफारिश करने का अनुरोध किया है. कैथल में शुक्रवार को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के अध्यक्ष पी राघवेंद्र राव ने सरकार को ऐसे किसानों को योजना का लाभ देना बंद करने की सलाह दी. उन्होंने अधिकारियों से ऐसे किसानों का एक डेटाबेस तैयार करने को भी कहा है.
इस बीच हरियाणा में किसान लगातार पराली जला रहे हैं. हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (HARSAC) ने 15 सितंबर से 10 अक्टूबर तक राज्य भर में 319 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की हैं, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में अधिक हैं. अंबाला में 59 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद कुरुक्षेत्र (49), फतेहाबाद (40), जिंद (31), सोनीपत (31), यमुनानगर (28), कैथल (24), करनाल (20), हिसार (13), झज्जर ( आंकड़ों के अनुसार, 2), और भिवानी, फ़रीदाबाद, रोहतक और सिरसा में एक-एक मामला सामने आया है.