गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने शनिवार को पद्म पुरस्कार 2025 से सम्मानित होने वाले नामों की घोषणा कर दी है. लिस्ट में कई गुमनाम और अनोखे पद्म पुरस्कार विजेता हैं, जिनमें सेब सम्राट हरिमन शर्मा का नाम भी शामिल है. उनका योगदान ये है कि उन्होंने सेब की खेती को ठंडे प्रदेश से गर्म मैदानी राज्यों तक पहुंचा दिया है. हरिमन शर्मा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले हैं. इन्हें (कृषि - सेब) श्रेणी में पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. इनके अलावा नागालैंड के नोकलाक के फल किसान हैंगथिंग को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. दरअसल, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं. पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री है.
बिलासपुर के सेब किसान हरिमन शर्मा ने कम ठंडक वाली सेब की किस्म 'HRMN 99' विकसित की है, जिसे किसी वैज्ञानिकों ने नहीं बल्कि दसवीं से भी कम पढ़े-लिखे हरिमन शर्मा ने विकसित किया है. हरिमन शर्मा उम्र अब 67 साल हो चुकी है, लेकिन पूरे भारत में सेब की खेती करवाने के लिए किए जा रहे काम के प्रति उनका जज्बा गजब का है. वो अब तक अलग-अलग राज्यों में इसकी खेती करवाने के लिए इस वैरायटी के 17 लाख पौधे पहुंचा चुके हैं.
वर्ष 2005 तक किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि बर्फीली पहाड़ियों पर तैयार होने वाला सेब गर्म स्थानों पर भी उगाया जा सकता है. लेकिन करीब एक दशक की मेहनत के बाद शर्मा ने कर दिखाया. उनकी शिक्षा भले ही अंडर मैट्रिक है लेकिन उनका काम बहुत बड़ा है. वो लगातार ग्राफ्टिंग के काम में जुटे रहे और 1999 में उन्हें सफलता लगी. इसलिए इस वैरायटी का नाम हरिमन-99 रखा गया. बता दें कि दूसरे देशों के किसान भी इस वैरायटी के पौधे मंगवा रहे हैं.
'किसान तक' से बातचीत में शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निचले हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती के लिए 1965 में जिला सिरमौर में नाहन के पास बागथान नामक स्थान पर एक रिसर्च सेंटर खोला गया था. करोड़ों रुपये खर्च करने के दस वर्ष बाद वैज्ञानिकों को कोई सफलता न मिलने पर 1975 में यह प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया. फिलहाल, शर्मा ने यह काम पूरा कर दिया. इसलिए केंद्र सरकार और वैज्ञानिक समुदाय ने उनकी सफलता को स्वीकार कर लिया. शर्मा ने कहा कि हरिमन-99 का पौधा 15-15 फुट की दूरी पर लगाया जाता है. इन पौधों के बीच में सब्जियां, गेहूं, मक्का और दलहनी फसलें लगा कर आय में वृद्धि की जा सकती है. आठ साल का पौधा सालाना एक क्विंटल तक की पैदावार दे सकता है.
नागालैंड के नोकलाक के फल किसान हैंगथिंग को गैर-देशी फलों की खेती में 30 से अधिक वर्षों की विशेषज्ञता है. उन्होंने अपने क्षेत्र में गैर-देशी फलों और सब्जियों के पौधे पेश किए और अपने राज्य के 40 गांवों में 200 से अधिक किसानों इसके बारे में बताया. फलों के प्रति उनका प्यार बचपन में ही शुरू हो गया था जब उन्होंने विक्रेताओं या उपभोक्ताओं द्वारा फेंके गए फलों के बीज एकत्र करने और अपने परिवार के खेत पर प्रयोग करने का फैसला किया. उनकी अभिनव कृषि तकनीकों को क्षेत्र के 400 से अधिक घरों ने अपनाया है. उन्होंने 40 गांवों में हजारों किसानों को सशक्त बनाया है. लीची और संतरे जैसे गैर-देशी फलों की खेती शुरू करके उनकी आय में वृद्धि की है.