देश में 12 फीसदी बढ़ गया उर्वरक का उत्पादन, निर्यात में भी आई गिरावट, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

देश में 12 फीसदी बढ़ गया उर्वरक का उत्पादन, निर्यात में भी आई गिरावट, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

उद्योग सूत्रों ने कहा कि अधिक खुदरा कीमतों के कारण पिछले कुछ समय से एमओपी की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है. एनबीएस व्यवस्था के तहत अन्य पोषक तत्वों की तुलना में पोटाश के लिए कम सब्सिडी के कारण एमओपी की खुदरा कीमत काफी समय से बढ़ी हुई है. वहीं, वित्त वर्ष 24 में वास्तविक सब्सिडी 175,100 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले लगभग 200,000 करोड़ रुपये हो सकती है.

9 महीने में 12 प्रतिशत बढ़ गया खाद का प्रोडक्शन. (सांकेतिक फोटो)9 महीने में 12 प्रतिशत बढ़ गया खाद का प्रोडक्शन. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 12, 2024,
  • Updated Feb 12, 2024, 10:56 AM IST

खरीफ सीजन के दौरान किसानों को उर्वरक को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि उसके उत्पादन में बंपर बढ़ोतरी हुई है. इसका असर उर्वरक आयात पर भी पड़ा है. कहा जा रहा है कि उर्वरक उत्पादन में इजाफा होने से विदेशों से इसका आय़ात पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम हो गया है. हालांकि, इसके बावजूद भी खाद की बिक्री फ्लेट रही. खास बात यह है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में किसानों ने सबसे अधिक यूरिया का उयोग किया है. ससके बाद डीएपी का स्थान है.

आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में भारत का यूरिया उत्पादन 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है, जबकि आयात पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम हुआ है. उद्योग जगत के खिलाड़ियों का कहना है कि उर्वरक की फ्लैट बिक्री के बीच उच्च उत्पादन आने वाले महीनों में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है. उद्योग के एक वरिष्ठ एक्सपर्ट ने कहा कि दिसंबर तक यूरिया का उत्पादन बढ़ने, आयात की अच्छी गति बनी रहने और बिक्री लगभग स्थिर रहने के चलते आने वाले महीनों में खाद का सरप्लस हो सकता है.

ये भी पढ़ें- Farmers Protest: ट्रैक्टर-कार से दिल्ली आ रहे किसान, SKM ने 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया, बॉर्डर पर जाम जैसे हालात, ट्रैफिक एडवाइजरी जारी

खरीफ सीजन में बढ़ेगी यूरिया की मांग

मानसून के आगमन के साथ मई और जून से 2024 के खरीफ सीजन के लिए यूरिया की मांग बड़े पैमाने पर फिर से बढ़ सकती है. कई खिलाड़ियों द्वारा साझा किए गए डेटा से पता चला है कि 2023-24 के पहले नौ महीनों में, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जबकि बिक्री में गिरावट आई है. जानकारों का कहना है कि इसका कारण उद्योग के खिलाड़ियों द्वारा खाद की स्टॉकिंग हो सकती है.

कितनी है डीएपी की कीमत

उद्योग सूत्रों ने कहा कि अधिक खुदरा कीमतों के कारण पिछले कुछ समय से एमओपी की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है. एनबीएस व्यवस्था के तहत अन्य पोषक तत्वों की तुलना में पोटाश के लिए कम सब्सिडी के कारण एमओपी की खुदरा कीमत काफी समय से बढ़ी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर से मार्च की अवधि के लिए, पोटाश के लिए प्रति किलोग्राम सब्सिडी पिछले अप्रैल से सितंबर की अवधि की तुलना में लगभग 84 प्रतिशत कम है. जहां डीएपी की एक बोरी के लिए किसानों को लगभग 1350 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं एमओपी की एक बोरी की कीमत लगभग 1500-1600 रुपये के बीच है. 

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु में सांबा धान की कटाई शुरू, बाढ़ प्रभावित किसानों को जल्द मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

उर्वरक सब्सिडी पर कितना होगा खर्च

वहीं, वित्त वर्ष 24 में वास्तविक सब्सिडी 175,100 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले लगभग 200,000 करोड़ रुपये हो सकती है. अंतरिम बजट में प्रदान किए गए FY24 के संशोधित अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 189,000 करोड़ रुपये आंकी गई है, जो FY23 के लिए BE से लगभग 8 प्रतिशत अधिक है. उद्योग जगत के खिलाड़ियों का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में कुल यूरिया खपत पिछले साल के समान स्तर 35-36 मिलियन टन के आसपास रह सकती है.

 

MORE NEWS

Read more!