किसान आंदोलन मामले पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र के साथ - साथ हरियाणा और पंजाब सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट गुरुवार को अगली सुनवाई करेगा तो दिल्ली सरकार भी अपना पक्ष रखेगी. इस याचिका में हरियाणा में इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा, रास्तों को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है. यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है. संविधान के अनुच्छेद 13-40 तक इन सिद्धांतों का विस्तार से बखान है. मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना इन अधिकारों की स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं. लेकिन सरकार ने किसानों को रोका है.
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कहा है कि सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं. ये देश भर में फ्री आवाजाही के अधिकार का हनन है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सहायता करने के अधिकार को बरकरार रखा है. सरकार ने सड़कें अवरुद्ध करके मौलिक अधिकारों का हनन किया है. कोर्ट ने सवाल किया कि यहां स्थायित्व क्या है? कितनी देर के लिए? स्थायी नाकाबंदी से आप क्या समझते हैं?
किसान आंदोलन के खिलाफ दाखिल दूसरी जनहित याचिका में वकील अरविंद सेठ ने कहा कि हजारों वाहन दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. किसी को भी राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. जनता को असुविधा की इजाजत नहीं दी जा सकती. अस्पताल जाने वाले लोगों को परेशानी हो रही है. सरकार ने स्थान निर्दिष्ट किए हैं. वहां लोग सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं. लेकिन वे विरोध करने के लिए कहीं भी जाकर जनता के लिए असुविधा नहीं बढ़ा सकते हैं.
केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि जहां तक MSP का सवाल है तो केंद्र बातचीत के लिए तैयार है. इसके लिए किसान प्रतिनिधियों के साथ हम चंडीगढ़ में भी बैठकें कर सकते हैं.
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हरियाणा सरकार के वकील का कहना है कि राज्य में धारा 144 तब से लागू है जब आखिरी विरोध प्रदर्शन हुआ था. तब कुछ अपराधिक वारदात हुई थी. इसलिए हम कानून और व्यवस्था की आशंका वाली स्थिति से बचने के लिए एहतियाती कदम उठा रहे हैं. हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि वे निर्दिष्ट स्थानों पर विरोध करने के लिए दिल्ली सरकार से अनुमति ले सकते थे. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने हरियाणा सरकार से पूछा कि वे केवल आपके राज्य से गुजर रहे हैं. उन्हें आने-जाने का अधिकार है. आपने सीमा क्यों अवरुद्ध कर दी है? आप परेशान क्यों हैं? क्या वे हरियाणा में आंदोलन कर रहे हैं? आप सड़कें क्यों अवरुद्ध कर रहे हैं? हरियाणा सरकार ने जवाब दिया कि दिल्ली से 5 किलोमीटर पहले इकट्ठा होने का आह्वान है. उन्होंने वहां हथियारों के साथ ट्रैक्टरों को मोडीफाई कर रखा है. इसलिए हम कानून और व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं.
पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए किसान आगे बढ़ रहे हैं. पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं. पंजाब में कोई सीलिंग नहीं है. यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम भी इसकी अनुमति दे रहे हैं. भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है. पंजाब सरकार ने कहा कि उनकी मांगें वास्तविक हैं. उन्हें देखने की ज़रूरत है. लेकिन पंजाब को चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि वे पंजाब में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं.
हरियाणा सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है. लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं. इनके पिछले रिकॉर्ड पर भी नजर डाली जाए तो सब कुछ पता चल जाएगा. एक्टिंग चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपको कैसे पता कि वे वही लोग हैं? पंजाब सरकार ने स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने कहा कि यह कहना बहुत आसान है कि उनके पास अधिकार हैं लेकिन सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा. उनके भी अधिकार हैं.
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