ओडिशा के किसानों के लिए जरूरी सलाह, धान की बंपर उपज के लिए ये एडवाइजरी पढ़ें किसान

ओडिशा के किसानों के लिए जरूरी सलाह, धान की बंपर उपज के लिए ये एडवाइजरी पढ़ें किसान

धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि धान की बुवाई के तीन सप्ताह बाद प्रति एकड़ खेत में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन डालें. उर्वरक डालने के 48 घंटे बाद खेत को फिर से पानी से भर दें और और खेत में पानी का स्तर 5 सेमी तक बनाए रखें. इस तरह से किसान धान की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.

Paddy FarmingPaddy Farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 27, 2024,
  • Updated Feb 27, 2024, 11:44 AM IST

ओडिशा में इस वक्त किसान गरमा धान की खेती करते हैं. गर्मी का मौसम है इसलिए धान की खेती पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है ताकि किसान अच्छी पैदावार हासिल कर सकें. मौसम विभाग की तरफ से भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. इनका पालन करके किसान अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की तरफ से जारी सामान्य सलाह में कहा गया है कि खेतों में सामान्य तापमान बनाए रखने के लिए नर्सरी पर सूखी गोबर की खाद की पतली परत लगाएं. यह अंकुरण के लिए अनुकूल तापमान तैयार करता है. इसके साथ ही तापमान बढ़ने पर ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई शुरू करें.

धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि धान की बुवाई के तीन सप्ताह बाद प्रति एकड़ 16 किलोग्राम नाइट्रोजन डालें. उर्वरक डालने के 48 घंटे बाद खेत को फिर से पानी से भर दें और और खेत में पानी का स्तर 5 सेमी तक बनाए रखें. इस तरह से किसान धान की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं. इस समय अधिकतम और न्यूनतम तापमान में अधिक अंतर आने के कारण धान में ब्लास्ट रोग की संभावना है. इससे निपटने के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 0.6 ग्राम/लीटर पानी का प्रयोग करें.

एडवाइजरी में कहा गया है कि धान की सर्वोत्तम वृद्धि के लिए प्रतिदिन 1 सेमी पानी की आवश्यकता होती है. इसलिए रोपाई के समय खेत में अधिक पानी रखें. रोपाई से 25 दिन तक यह मात्रा बनाए रखें. इससे इससे अधिक संख्या में टिलर तैयार करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ेंः MSP पर नेफेड को बेचना चाहते हैं तूर दाल? अपने मोबाइल से 6 स्टेप्स में रजिस्ट्रेशन करें किसान 

अधिक उपज के लिए ऐसे करें खाद का भुरकाव

जो किसाम सीधी बुवाई विधि से धान की खेती करते हैं वो नर्सरी में 10 से 12 दिन के तैयार पौधों को उखाड़कर मुख्य खेत में रोपाई करें. अगर चावल में थ्रिप्स का प्रकोप दिखाई दे तो एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत नीम बीज गिरी आधारित ईसी फॉर्मूलेशन 800 का छिड़काव करें. यह छिड़काव 7-10 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए. जो किसान अभी गरमा धान की रोपाई कर रहे हैं वे किसान उपलब्ध पानी का उपयोग करते हुए खेत तैयार करें और गर्मा धान की रोपाई करें. इसके लिए किसान 35 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम एमओपी और 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट का भुरकाव प्रति एकड़ की दर से करें.  

ये भी पढ़ेंः Advisory for Farmers: कितने तापमान पर फैलता है पीला,भूरा और काला रतुआ, जानिए कैसे होगा बचाव

तना छेदक कीट का करें प्रबंधन

जिन किसानों ने पहले ही धान की रोपाई कर दी है, उन किसानों को धान की बेहतर पैदावार हासिल करने के लिए रोपाई के तीन सप्ताह बाद प्रति एकड़ की दर से 35 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव खेत में करना चाहिए. खास कर अधिक उज देने वाली किस्मों में इस दौरान कल्ले निकलने की अवस्था होती है. ऐसे में यूरिया का भुरकाव फायदेमंद साबित होता है. इसके अलावा धान में तना छेदक कीट का भी प्रकोप होता है जिससे धान की पैदावार में कमी आती है. फसल की प्रारंभिक अवस्था में धान में तना छेदक कीट के प्रबंधन के लिए कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत जी का 8-किलो प्रति एकड़ या फ़िप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर का 10-किलो प्रति एकड़ की दर से  छिड़काव करें. इसके अलावा रोपाई किए गए धान में खरपतवारों का नियंत्रण करें. 

 

MORE NEWS

Read more!