चक्रवर्ती तूफान मिचौंग का असर चेन्नई में देखने को मिल रहा है. तूफान के कारण हुई बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने राज्य की राजधानी को अस्त-व्यस्त कर दिया है. चक्रवात के लोगों के बीच कई दिनों तक काफी परेशानियां बढ़ जाती हैं. वहीं चक्रवात के बाद महीनों-महीनों के लिए खेती बिगड़ जाती है. चक्रवात खेती में कीटों और बीमारियों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं. चक्रवातों के बाद बढ़ी हुई नमी का स्तर कीड़ों और कवक के लिए प्रजनन स्थल के रूप में काम करता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक संक्रमण होता है और फसल को नुकसान होता है. वहीं चक्रवातों का खेती पर कई दूरगामी परिणाम होते हैं.
तेज़ हवाओं और तेज वर्षा वाले गंभीर तूफान, खेती के साथ ही मानव अस्तित्व के अलग-अलग पहलुओं पर स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं. प्राकृतिक आपदाओं के रूप में चक्रवात कृषि प्रणालियों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फसल उत्पादकता, कृषि का बुनियादी ढांचा प्रभावित होता है.
चक्रवात से फसलों का नुकसान होना लाजिमी है. चक्रवाती तूफानों के साथ आने वाली तेज हवाओं में फसलों को उखाड़ने या खेतों में ही नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे उपज में काफी कमी आती है. इसके अलावा भारी वर्षा से जलभराव हो जाता है जिससे फसलों को नुकसान होता है. जलभराव से फसलों को महत्वपूर्ण ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और जड़ें सड़ जाती हैं, जिससे उत्पादन में कमी आती है.
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तेज चक्रवात अक्सर कृषि भवनों, सिंचाई प्रणालियों और भंडारण सुविधाओं जैसे महत्वपूर्ण कृषि बुनियादी ढांचे को तबाह कर देता है. यह विनाश खेती के कार्यों को गंभीर रूप से बाधित करता है. चक्रवात और भारी बारिश से भंडारण, प्रसंस्करण और परिवहन जैसी समस्या बढ़ जाती है.
कृषि पर चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिए, कम नुकसान पहुंचाने वाले ढांचे को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसमें चक्रवात प्रतिरोधी इमारतों और सिंचाई प्रणालियों का निर्माण करके बुनियादी ढांचे की सुविधा बढ़ा सकते हैं. हॉर्टिकल्चर और मिट्टी संरक्षण तकनीकों जैसी जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों को लागू करने से अच्छी खेती को बढ़ावा मिल सकता है. वहीं समय पर मौसम की जानकारी और शुरुआती चेतावनी से किसानों को चक्रवातों के लिए तैयार होने में मदद मिल सकती है. इन उपायों को अपनाकर सरकार और किसान कृषि पर चक्रवातों के प्रभाव को कम कर सकते हैं.