Chhattisgarh Election 2023 : बघेल को अपनों से घेरकर पाटन में पटकनी नहीं दे पाए विरोधी

Chhattisgarh Election 2023 : बघेल को अपनों से घेरकर पाटन में पटकनी नहीं दे पाए विरोधी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस चुनाव में भी पाटन विधानसभा सीट से किस्मत आजमा रहे थे. हालांकि बतौर सीएम उनकी लोकप्रियता को देखते हुए पाटन की चुनावी जंग बघेल के लिए बहुत मुश्किल नजर नहीं आ रही थी, मगर विरोधी दलों ने उन्हें घेरने के लिए उनके अपनों को ही ढाल बनाया और इस चाल में वे कुछ हद तक कामयाब होते भी दिखे लेकिन अंत में बाजी बघेल के हाथों में ही रही.

Bhupesh BaghelBhupesh Baghel
न‍िर्मल यादव
  • Raipur ,
  • Dec 03, 2023,
  • Updated Dec 03, 2023, 9:14 PM IST

विरोधी दलों ने सीएम बघेल को उनके अपने ही निर्वाचन क्षेत्र पाटन में घेरने के लिए चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की रणनीति अपनाई. रविवार को हुई मतगणना में इस सीट पर शुरुआती दौर में सीएम बघेल अपने भतीजे और भाजपा उम्मीदवार विजय बघेल से पीछे जरूर हुए लेकिन बाद में उन्होंने निर्णायक बढ़त बनाकर 19 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की.

विरोधि‍यों का ये था मकसद 

विरोधी दलों ने पाटन सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर सीएम बघेल को हराने की रणनीति बनाई थी. इस मकसद को साधने के लिए भाजपा ने एक तरफ सीएम बघेल के सामने उनके भतीजे विजय बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी भी बघेल को पाटन में ही पटखनी देने के लिए चुनाव मैदान में कूद गए हैं. मगर विरोध‍ियों की ये रणनीति कामयाब नहीं हुई.

अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर 2016 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाई थी. अब उनकी पार्टी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराने के मकसद से चुनाव लड़ती है. इसका सीधा फायदा भाजपा को होता है.

पाटन का सियासी समीकरण

सीएम भूपेश बघेल की उम्मीदवारी के कारण दुर्ग जिले की पाटन सीट हाईप्रोफाइल हो गई है. इस सीट से बघेल मौजूदा विधायक हैं. उनका मुकाबला भाजपा के दुर्ग से सांसद और भतीजे विजय बघेल से है. चाचा भतीजे की चुनावी जंग नई नहीं है. इसी सीट के चुनावी दंगल में चाचा भतीजे 2003 से दो दो हाथ करते रहे हैं. विजय बघेल ने 2008 के चुनाव में चाचा को करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद 2013 में उन्हें चाचा के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

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त्रिकोणीय मुकाबला है

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर 2016 में अपनी अलग पार्टी बना ली थी. इसके बाद 2018 के चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए उन्होंने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का नाकाम प्रयोग किया. अब उनके बेटे अमित जोगी भी पाटन सीट पर कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

इस प्रकार सीएम बघेल, भाजपा और जोगी कांग्रेस के लिए साझा शत्रु हैं. जोगी के चुनाव लड़ने से सिर्फ भाजपा को ही चुनाव में लाभ होगा. इस वजह से पाटन सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. पाटन की राजनीति में जोगी परिवार का पुराना दखल रहा है, इसलिए अमित जोगी का इस सीट से लड़ना, सीएम बघेल काे पाटन तक ही सीमित रखने की रणनीति का हिस्सा है.

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सीएम का सियासी सफर

सीएम भूपेश बघेल भी राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं. वह पाटन सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं. यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है. पाटन सीट से भूपेश बघेल को कांग्रेस 1993 से अब 6 बार चुनावी मैदान में उतार चुकी है. वह 5 बार पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे. 2018 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बघेल की अगुवाई में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था.

उनकी अगुवाई में संगठन के कुशल नेतृत्व का ही नतीजा था कि कांग्रेस ने पिछले चुनाव में राज्य की 90 में से 68 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया. भाजपा को लगातार चौथी बार सत्ता में आने से रोकने में बघेल की अहम भूमिका के एवज में कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद नवाजा.

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