जम्मू-कश्मीर में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है साथ ही यहां पर कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में जा रहा है. ऐसे में पशुपालन को लेकर आईएमडी की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि गायों में इस वक्त लंपी स्किन रोग हो सकता है. गायों में यह बीमारी होने पर उन्हें बहुत तेज बुखार आता है साथ ही चमड़ी पर सिक्के के आकार के चकते उभर जाते हैं. इस रोग के कारण गाय उदास रहती है और खाना पीना कम खाती है या खाना छोड़ देती है.
यह एक फैलनेवाली बीमारी होती है. इस बीमारी से पशुओं के बचाव के लिए स्वस्थ पशु को संक्रमित पशु से अलग रखें. संक्रमित पशु को कोरेंटिन कर दें. इसके अलावा जिस जगह पर संक्रमित पशु को रखा गया था उस जगह को ब्लीच, फिनायल या आयोडीन का इस्तेमाल करके अच्छे से साफ कर दें. साथ ही पशु में जिस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं उसके अनुसार इलाज किया जाना चाहिए.
बढ़े हुए तापमान को नियंत्रित करने के लिए एनाल्जेसिक या एंटीबायोटिक्स देना चाहिए. फिर संक्रमण का पता लगाने के लिए एंटीहिस्टामिनिक्स, एनोरेक्टिक की जांच करें. इसके साथ ही संक्रमित जानवर को इम्युनोबूस्टर, एंटीऑक्सीडेंट प्लस विटामिन ए और इ की दवा दें.वहीं अगर जानवरों में खुरपका और मुंहपका रोग का प्रकोप होता है तो प्रभावित जानवर को पहले सभी जानवरो से अलग करें, ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके. इसके साथ ही प्रभावित पशुओं का बोरोग्लिसरीन मरहम से उपचार करें.
इस मरहम को मुंह के घावों के अलावा पैर के घावों पर लगाया जा सकता है. इसके अलावा पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से घाव को धोएं. इसके साथ ही एसिडोसिस की रोकथाम के लिए अनाज का सेवन कम करें. इसके अलावा शेड और बाड़ों में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें. उचित सहित एक आरामदायक और गर्म आश्रय प्रदान करें. इसके अलावा जानवरों को ठंड से बचाने के लिए उपाय करें.
जानवरों को ठंड से बचाने के लिए खुले धूप में उन्हें चरने दें. दिन के दौरान जानवरों को पर्याप्त गुनगुना पानी प्रदान करें. नवजात बच्चों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें गर्माहट प्रदान करें और उन्हें रहने के लिए एक उपयुक्त जगह प्रदान करें. अगर जानवर को दस्त हो रहे हैं तो उसके प्रबंधन के लिए उन्हें ताजी घांस दें या फिर उचित एवं उपयुक्त कृमिनाशक दवा खिलाएं.
भेड़ और बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए सलाह में बताया गया है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए और उचित तापमान बनाए रखने के लिए सावधानी बरतें. शेड और बाड़े के अंदर साफ-सफाई बनाए रखें.रात में जहां पर पशु रहते हैं उस जगह को साफ रखें.
भेड़ों में पैरों की सड़न से प्रभावी रोकथाम के लिए फर्श को साफ रखें और संक्रमण की स्थिति में पैर को साफ करें साथ ही पोटेशियम परमैंगनेट या कॉपर सल्फेट के साथ उनके पैरों को साफ करें और पैरों से गंदगी और कीचड़ हटाएं.टिक्स और जैसे एक्टो-परजीवियों के खिलाफ रोगनिरोधी उपाय करें.
बारिश के दौरान जानवरों को रोकने के लिए एक आरामदायक आश्रय करने की व्यवस्था करें क्यों कि इस दौरान निमोनिया हो सकता है. भेड़ों के बेहतर वृद्धि के लिए उनके चारागाह में नमक का छिड़काव करें.