जिस तरह इंसानों के लिए आयरन जरूरी है उसी तरह खेती के लिए भी आयरन एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो पौधों को सूर्य के प्रकाश और पानी को भोजन में बदलने में मदद करता है. यह पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए अहम भूमिका निभाता है. इसकी कमी होने पर पौधे ठीक से विकास नहीं कर पाते. पैदावार में कमी आ जाती है और पत्तों का रंग पीला पड़ जाता है. मृदा विशेषज्ञ डॉ. आशीष राय का कहना है कि कम बारिश और ज्यादा पीएच मान वाले खेतों में धान की फसल में आयरन की कमी देखी जा रही है. इसे दूर करना जरूरी है. लेकिन, सवाल यह है कि आखिर इसकी कमी पूरी कैसे होगी?
डॉ. राय का कहना है कि पौधों और मिट्टी में लौह तत्व की कमी को ठीक करने के कई तरीके हैं. उदाहरण के लिए, मौलिक सल्फर मिलने से पौधों को आयरन को बढ़ाने में मदद मिलती है, जबकि पोटैशियम मिलने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि अच्छी फसल वृद्धि के लिए पर्याप्त नाइट्रोजन उपलब्ध है. खाद जैसे कार्बनिक पदार्थ की मिट्टी की उर्वरता स्थितियों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, जिससे जस्ता और मैगनीज अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ सकती है.
खाद के रूप में कंपोस्ट खाद या पुराने पशु-खाद को जमीन में मिलाएं.
चिलेटेड आयरन सप्लीमेंट सीधे पौधों की जड़ों के पास पर मिट्टी में मिलाएं.
उच्च स्तर की आयरन की कमी वाली संक्रमित शाखाओं या पत्तियों को काट दें.
आयरन पौधों की वृद्धि के लिए एक आवश्यक खनिज है. आयरन क्लोरोफिल को भी संश्लेषित करता है और पौधों को प्रकाश संश्लेषण में मदद करता है. यह प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड और एंजाइम बनाने में मदद करता है. आयरन पौधों को उनकी पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी पहुंचाने में भी मदद करता है. पौधों के लिए विभिन्न प्रकार के लौह उपलब्ध हैं. चिलेटेड आयरन वह रूप है जिस पौधे सबसे आसानी से अवशोषित कर लेते हैं.
आयरन पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, और यदि मिट्टी पर्याप्त रूप से हवादार नहीं है उसमें कार्बनिक पदार्थ का स्तर कम है तो मिट्टी में आयरन की कमी हो सकती है. पौधों में आयरन की कमी के कारण पत्तियां सफेद-पीली हो सकती हैं, विकास रुक सकता है और पैदावार कम हो सकती है. मिट्टी में आयरन की कमी से पौधों की खराब वृद्धि, क्लोरोसिस (पत्तियों का सफेद-पीला पड़ना) और फंगल अतिवृद्धि भी हो सकती है.
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पौधों को सही ढंग से कार्य करने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है. पर्याप्त आयरन के बिना, पौधे क्लोरोफिल और अन्य प्रोटीन नहीं बना पाते हैं, जिसके परिणाम स्वरुप विकास में कमी आती है, पत्तियां पीली पड़ जाती और फल कम लगते हैं. आयरन पौधों को नमी और पोषक तत्व बनाए रखने में मदद करता है.
मृदा वैज्ञानिक डॉ. राय का कहना है कि यह क्लोरोफिल की कमी है और मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने की खराब क्षमता के कारण होता है. हालांकि, बहुत अधिक आयरन से अत्यधिक वृद्धि और पौधों में विषाक्तता की समस्या भी हो सकती है. इसलिए आपके खेत में आयरन की मात्रा में संतुलित करना आवश्यक है. आयरन की कमी को दूर करने के लिए धान की पत्तियों पर आयरन सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए.
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