
बेमौसमी बारिश की मार से इस बार निचले हिमाचल के किसानों को गेहूं के उत्पादन में बहुत कम पैदावार होने की वजह से से चिंताएं बढ़ गई है. बता दे कि जिला हमीरपुर में 30 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं का उत्पादन किया जाता है. लेकिन इस साल बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं का उत्पादन महज 25 प्रतिशत तक ही हो पाया है. बेमौसमी बारिशों के होने के कारण पिछले बीस सालों बाद गेहूं के उत्पादन में इस तरह की गिरावट देखी गई है. यह गिरावट ना केवल गेहूं के उत्पादन में देखी जा रही है बल्कि पशुओं के चारा में भी कमी आई है. जिस वजह से पशुपालक भी चिंता से जूझ रहे है.
ऐसे में अगर कृषि विभाग के विशषज्ञों की माने तो बेमौसम बारिश की वजह से ऐसा हुआ है. लेकिन अगले सीजन में ऐसा ना हो इसलिए पहले से ही किसानों को जागरूक करके इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए काम किया जाएगा.
धरोग गांव के किसान ने बताया कि करीब बीस सालों बाद इस तरह का मौसम हुआ है और गेहूं के दानों के साथ-साथ तूडी भी काली निकली है. उन्होंने कहा कि फसल पकने के साथ कटाई के समय भी बारिश हुई है. जिस वजह से मात्र 25 प्रतिशत ही गेहूं का उत्पादन हो सका है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की ऐसी स्थिति में मदद करे.
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करतार सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल के लिए सारा परिश्रम धूल में मिल गया है और बारिश होने से गेहूं का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की फसल में कोई फायदा नहीं मिला है. किसान प्यार चंद ने बताया कि बेमौसम बारिश होने से गेहूं की फसल को संभालने का समय ही नहीं मिल पाया. ऐसे में सरकार को चाहिए कि किसानों की हर संभव मदद की जाए.
वहीं जिला कृषि अधिकारी अनूप कतना ने माना कि बारिशों के होने से गेहूं की फसल खराब हुई है. उन्होंने बताया कि जिला भर में 30 हैक्टेयर भूमि पर गेहूं बीजाई की गई थी और अधिकतर जगहों पर फसल खराब हो गई. उन्होंने कहा कि दोबारा से ऐसा न हो इसके लिए विभाग अपने स्तर पर अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करने का काम करेगा. (अशोक राणा की रिपोर्ट)