गुजरात के खेड़ा गांव में बीते नौ सालों में सारस क्रेन (Sarus Crane) की संख्या में तीन गुणा इज़ाफा हुआ है. यह गांव मौजूदा दौर में सारस क्रेन की आबादी के मामले में भारत का दूसरा गांव बन गया है. खास बात यह है कि इस गांव की कायापलट के लिए एक ऐसी मुहीम जिम्मेदार है जिसने सभी ग्रामीणों और किसानों को एक साथ लाकर इस परिंदे का संरक्षण किया है.
सारस क्रेन कौन, खास क्यों?
सारस भारत में पाया जाने वाला सबसे बड़ा पक्षी है. यह एक ऐसा पक्षी है जो जोड़े में ही पाया जाता है. अगर एक को कुछ होता है तो दूसरा भी प्रभावित होता है. भारतीय सारस विश्व का सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी है जिसे आईयूसीएन रेड लिस्ट में संकटग्रस्त पक्षी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
यह पक्षी भोजन और प्रजनन के लिए नमी वाली जमीन (आद्रभूमि) और कृषि क्षेत्रों में निवास करता है. हालांकि आवास खत्म होने और आर्द्रभूमि में मिनरल्स बढ़ने के कारण इस पक्षी की संख्या में कमी आई है. इस समस्या के समाधान के लिए यूपीएल ने 2015 में सारस संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया और किसानों के साथ मिलकर गलत धारणाओं को दूर करने और प्रजनन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए काम किया.
यूपीएल संस्था यह प्रोजेक्ट गुजरात वनविभाग के सहयोग से कर रही है. इसके परिणामस्वरूप सारस क्रेन की जनसंख्या 2015-16 में 500 से बढ़कर 2023-24 में 1,431 हुई है. साल 2016 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का असर यह है कि परिएज और आसपास के गांवों के लोगों का सारस से भावनात्मक रिश्ता बन गया है. सारस के लुप्त होने को रोकने के लिए स्थानीय किसान भी आगे आए और परियोजना का समर्थन किया.
क्या है यूपीएल?
यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड (UPL) एक संगठन है जो सारसपक्षी प्रजनन के लिए जन जागरूकता प्रयास कर रहा है. संगठन ने लोगों की भागीदारी पर बहुत जोर दिया है. यूपीएल संस्थान द्वारा खेड़ा के परीएज में सारस संरक्षण के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें सारस की जानी-अनजानी कहानियों के अलावा इसे बचाने की पहल और इसके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया.
इसके परिणामस्वरूप अब तक लगभग 5000 किसान और 23 हजार छात्र इस परियोजना के माध्यम से सारस संरक्षण के प्रति जागरूक हो चुके हैं. अब जनभागीदारी इतनी मजबूत हो गई है कि लोग खुद इस परियोजना का हिस्सा बन गए हैं. और सारस संरक्षण में काफी सक्रिय हो गए हैं. इसलिए इस विशेष परियोजना को चलाने की आवश्यकता कम हो गई है.
जून महीने में सारस प्रजाती के बर्ड्स की जनगणना होती है. वन विभाग और यूपीएल के संयुक्त प्रयास से कई टीमें बनाकर गिनती के लिए भेजी जाती हैं. ये टीमें अलग-अलग रूट पर जाकर एक ही दिन में एक साथ सारस की गिनती करती हैं.
यूपी में हैं सबसे ज्यादा सारस
भारत में सारस की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है. सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है. अतः भारत में सारस की संख्या में गुजरात दूसरे स्थान पर है. विशेष रूप से मातर रेंज और आमंद जिले के सोजित्रा, तारापुर और खंभात सहित आसपास के क्षेत्रों में सारस की उल्लेखनीय आबादी है. मातर क्षेत्र के अलावा आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी सारस की संख्या अच्छी खासी है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि यूपीएल के सारस संरक्षण परियोजना के तहत किसानों को शिक्षा दी गई. यूपीएल के जागरूकता अभियान में बच्चे भी स्वेच्छा से शामिल हुए. 10 स्कूलों और चार कॉलेजों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया.
पक्षी अवलोकन, तितली पहचान, फोटो प्रदर्शनी और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता सहित विभिन्न इंटरैक्टिव गतिविधियां आयोजित की गईं. इनमें उपस्थित लोगों ने आर्द्रभूमि के महत्व और सारस क्रेन के समर्थन में उनकी भूमिका के बारे में सीखा.
(किसान तक के लिए हेताली शाह की रिपोर्ट)