Sheep Grazing: बरसात में भेड़ों को बाहर चराने के लिए ले जाने से पहले जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Sheep Grazing: बरसात में भेड़ों को बाहर चराने के लिए ले जाने से पहले जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Sheep Grazing in Monsoon बरसात में चारों तरफ हरा चारा होता है. इस दौरान अक्सर खुले में चरने वाली भेड़ों के झुंड ज्यादा मात्रा में चारा खा लेते हैं. जिसके चलते भेड़ एंटरोटॉक्सिमियां बीमारी की चपेट में आ जाती है. एक बार ये बैक्टीरिया भेड़ों के शरीर में दाखि‍ल हो गया तो फिर उनका बचना मुश्कि ल हो जाता है. ऐसे में इसके लिए बना टीका भी काम नहीं करता है. 

भेड़ की इन नस्लों का करें पालनभेड़ की इन नस्लों का करें पालन
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 08, 2025,
  • Updated Jul 08, 2025, 2:33 PM IST

Sheep Grazing in Monsoon खेत, चारागाह और खुले मैदान में बरसात के दौरान खूब हरा चारा होता है. बावजूद इसके ये पशुओं को सीधे नहीं खि‍लाया जा सकता है. क्योंकि एनिमल एक्सपर्ट बरसात के दौरान होने वाला हरा चारा पशुओं को न खिलाने की सलाह देते हैं. लेकिन खिलाना जरूरी हो तो उसके लिए कुछ जरूरी काम किए जाते हैं. एक्सपर्ट की ये सलाह खासतौर से उन पशुपालकों के लिए होती है जो हर हाल में अपने पशुओं को बरसाती चारा ही खि‍लाते हैं. ये वो पशुपालक हैं जो भेड़ पालन करते हैं. क्योंकि बड़ी संख्या में पाली जाने वालीं भेड़ों को बिना हरे चारे के रखना मुश्कि‍ल हो जाता है. 

एक्सपर्ट का कहना है की भेड़ों को सीधे बरसाती हरा चारा खि‍लाना बहुत जोखि‍म का काम होता है. इसके चलते भेड़ों को एंटरोटॉक्सिमियां नाम की बीमारी हो सकती है. इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है. वैक्सीन है तो वो भी हेल्दी भेड़ों को ही लगती है. भेड़ जब एंटरोटॉक्सिमियां की चपेट में आ जाती है तो उस पर फिर वैक्सीन भी काम नहीं करती है. 

भेड़ों को चराने के लिए ले जाने से पहले करें ये काम 

जब भेड़ों के झुंड बाहर खुले में चरने के लिए जा रहे हों तो ये जरूरी हो जाता है कि हम पहले उन्हें सूखा चारा और मिनरल्स जरूर खाने को दें. सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा भी दिया जा सकता. वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले और चने की चूनी आदि दी जा सकती है. 

भेड़ों पर ऐसे अटैक करता है बैक्टीरिया 

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो जब एंटरोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीएरिया भेड़ों में पनपता है तो पहले भेड़ों को दस्त होते हैं. फिर एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन दो ही दिन बाद अचानक से भेड़ में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वो ठीक से चल भी नहीं पाती है. चलने की कोशिश करती है तो लड़खड़ा कर गिर जाती है. फिर से उसे दोबारा एक-दो दस्त आते हैं. लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है. इसके बाद उस भेड़ की मौत हो जाती है. और यह सब होता है भेड़ों की आंत में अचानक से पनप उठे इसी बैक्टीरिया के चलते. इस बीमारी का इलाज सिर्फ टीका है. लेकिन हेल्दीद भेड़ को ही टीका लगाया जा सकता है. जो भेड़ें बीमार हो जाती हैं. इस बैक्टीतरिया की चपेट में आ जाती हैं तो उन्हें  वैक्सी न देकर ठीक करना मुमकिन नहीं है. 

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