Paddy: ला नीना का असर! इस साल चावल उत्पादन में उछाल की उम्मीद, निर्यात भी बढ़ेगा

Paddy: ला नीना का असर! इस साल चावल उत्पादन में उछाल की उम्मीद, निर्यात भी बढ़ेगा

ला नीना के प्रभाव से बेहतर मानसून की संभावना के कारण, 2024-25 के फसल वर्ष में भारत का चावल उत्पादन 13.8 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है. वैश्विक स्तर पर चावल उत्पादन 52.7 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में 70 लाख टन अधिक है,भारत की चावल निर्यात क्षमता भी 1.8 करोड़ टन के करीब रहने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में वृद्धि दर्शाती है

देश में चावल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीददेश में चावल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
जेपी स‍िंह
  • New Delhi,
  • Aug 21, 2024,
  • Updated Aug 21, 2024, 6:44 AM IST

यूनाइटेड स्टेट्स एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट (USDA) के अगस्त 2024 के पूर्वानुमान के अनुसार ला नीना के प्रभाव से इस साल बेहतर मॉनसून की संभावना है, जिससे चावल उत्पादन में सुधार की आशा है. जबकि वैश्विक स्तर पर चावल का उत्पादन 52.7 करोड़ टन रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 70 लाख टन अधिक है. भारत में 2024-25 के दौरान 13.8 करोड़ टन चावल उत्पादन की उम्मीद से वैश्विक बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है. USDA ने अनुमान लगाया है कि इस साल भारत 1.8 करोड़ टन चावल का निर्यात कर सकता है, जबकि एपिडा के अनुसार  2023-24 में भारत ने 1.64 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था.

ला नीना के प्रभाव से, पिछले तीन वर्षों में सूखे जैसी स्थिति के बाद चावल उत्पादन में सुधार की आशा है. चावल का उत्पादन एशियाई देशों में सबसे अधिक होता है, जिसमें चीन का उत्पादन 14.6 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में 20 लाख टन अधिक है. भारत में 13.8 करोड़ टन चावल उत्पादन की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 10 लाख टन अधिक है.पाकिस्तान में 1 करोड़ टन, इंडोनेशिया में 3.4 करोड़ टन और थाईलैंड में 2 करोड़ टन चावल उत्पादन की उम्मीद है.

हर साल बढ़ रही चावल की खपत

अगर भारत में 2024-25 के दौरान 13.8 करोड़ टन चावल का उत्पादन हो तो तो भारत की चावल फसल 2022-23 की रिकॉर्ड फसल के बराबर हो सकती है. देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही चावल की खपत को देखते हुए, चावल एशिया और प्रशांत क्षेत्र के कुछ हिस्सों का मुख्य भोजन है और दुनिया का 90 प्रतिशत से अधिक चावल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उत्पादित और उपभोग किया जाता है.चीन को छोड़कर एशिया में चावल उत्पादक देशों में हर साल औसतन 1.1 प्रतिशत की दर से चावल की खपत बढ़ रही है, जिससे अन्य देशों में निर्यात में कमी आ रही है. भारत में 1995 के बाद चावल की घरेलू खपत 47 प्रतिशत तक बढ़ी है. इस समय भारत में हर साल चावल का औसतन घरेलू खपत 11.5 करोड़ टन है. तीन साल बाद, ला नीना के कारण चावल के निर्यात में वृद्धि की संभावना है. मौसम विभाग ने 2024 की मॉनसून अवधि (जून-सितंबर) के लिए औसत से ऊपर की बारिश की भविष्यवाणी की है, जो खरीफ चावल उत्पादन के लिए फायदेमंद होगी. 

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ला नीना से आगे भी अच्छी बारिश की संभावना

तीन साल के बाद, ला नीना के अगस्त-सितंबर में भारतीय तटों पर मजबूत वापसी की उम्मीद है जैसा कि भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है. पिछले तीन वर्षों में ला नीना के कमजोर होने के कारण मानसून सीजन में कम बारिश के वजह से भारतीय खेतों को लंबे सूखे और फसल की उपज में कमी का सामना करना पड़ा था. इस साल अगस्त-सितंबर में ला नीना के कारण बेहतर मौसम की उम्मीद है, जो धान की पैदावार में सुधार ला सकती है. भारत में जहां 75 प्रतिशत वार्षिक बारिश मॉनसून सीजन के दौरान होती है,इसमे ला नीना मानसून सीजन में खेती के नजरिये से काफी फायदेमंद साबित होती है.

साल 2024 के मजबूत खरीफ मौसम और बेहतर मॉनसून के कारण भारतीय बाजार में चावल निर्यात को खोलने की संभावना बढ़ सकती है. सरकार ने अगस्त साल 2022 में टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और गैर-बासमती सफेद चावल पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया गया था. जुलाई साल 2023 तक, सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को सीमित कर दिया. नतीजतन, 2023-24 में भारतीय चावल के निर्यात में 18.5 प्रतिशत की कमी आई है. इस साल चावल का उत्पादन बढ़ने से चावल निर्यात में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है.

बेहतर मॉनसून से उत्पादन बढ़ने की उम्मीद

देश में पिछले साल की तुलना में धान के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है. आगे का चावल उत्पादन सितंबर के मॉनसून पर निर्भर करेगा. मौसम विभाग ने 2024 की मॉनसून अवधि (जून-सितंबर) के लिए औसत से ऊपर की बारिश की भविष्यवाणी की है, जो खरीफ फसलों, विशेषकर धान की खेती के लिए बेहद लाभकारी होगी. दक्षिण एशियाई देश खरीफ और रबी सीजन में धान  उगाते हैं. देश में  खरीफ चावल का उत्पादन का 70 प्रतिशत हौता है, आमतौर पर नवंबर में काटा जाता है, जबकि रबी चावल नवंबर-दिसंबर में बोया जाता है और अप्रैल-मई तक काटा जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक भारत में खरीफ धान की रोपाई और बुवाई 369.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 19.57 लाख हेक्टेयर अधिक है. हालांकि, देश में धान की खरीफ कुल धान की खेती लगभग 400 लाख हेक्टेयर में होती है.

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