सजावटी मछली पालन दुनिया में दूसरा सबसे पसंदीदा शौक है क्योकि थके-मादे घर पहुंचनेवाले लोगों की नज़र जब अपने घर के अंदर रखे एक्वेरियम पर पड़ती है, तो संजावटी मछलियों की अठखेलियां मन को तरोताजा कर देती हैं. स्ट्रेस यानी तनाव के क्षणों में एक्वेरियम में इधर से उधर दौड़ती-भागती रंग-बिरंगी मछलियों को देखने का आनंद ही कुछ और है, जिससे स्ट्रेस का स्तर कम होता है और मन को सुकून मिलता है. सजावटी मछलियां वास्तव में प्रकृति की अद्भुत रचना हैं और सजावटी मछली रखने के शौकीनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. आज के दौर में कई लोग अपने घर और दफ्तरों में रंगीन मछलियों को एक्वेरियम में पालने का शौक रखते हैं. इससे हमारे देश में ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग यानी सजावटी मछली पालन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता रखता है. इस क्षेत्र की रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए कई लोग सजावटी मछली पालन से जुड़े हैं और अच्छा इनकम कमा रहे हैं. लेकिन सजावटी मछली पालन बिजनेस की सफलता में प्रजनन और मछलियों के पालन में उचित प्रबंधन प्रोटोकॉल अपनाने जरूरत होती है.
सेंट्रल इंस्टीट्यूटऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर ( CIFA) भुनेश्वर के ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग विशेषज्ञ और प्रधान वैज्ञानिक डॉ सरोज कुमार ने किसान तक से बातचीत में बताया कि सजावटी मछली पालन स्थान और लेआउट पर निर्भर करता है. इसके पालन के लिए बुनियादी जरूरतें जैसे, भरपूर मात्रा में ताजा पानी, गुणवत्ता वाले ब्रूड स्टॉक और बिजली की सप्लाई कई बातों पर निर्भर करती है. सजावटी मछलियों के उत्पादन के लिए कई पैरामीटर हैं, जिसको अपनाने की जरूरत होती है. छोटे पैमाने पर रंगीन मछलियों का पालन करना है तो कम से कम 500 वर्ग मीटर की जगह की जरूरत होती है, जहां पर किसान सीमेंट और क्रंकीट के टैंक बना सकते हैं. बड़ी परियोजनाओं के लिए एक हेक्टेयर से अधिक भूमि क्षेत्र की जरूरत होती है.
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डॉ सरोज के अुनसार तालाब की मछलियों के शत्रु से एंटी-बर्ड नेट की भी जरूरत होती है. सजावटी मछलियों की अलग-अलग प्रजातियां क्षारीय पानी पंसद करती हैं, जबकि कुछ अम्लीय पानी में रहना पसंद करती हैं. इसलिए एक्वेरियम का बिजनेस करने वालों और एक्वेरियम का शौक रखने वालों को इसमें पाली जाने वाली सजावटी मछलियों की प्रजातियों के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है. तभी कहीं जाकर आप सफलतापूर्वक एक्वेरियम के बिजनेस को चला सकते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे देश की नदियों और जलशायों में कुछ सजावटी मछलियां मिलती हैं जिन्हें लाकर हम अपने संस्थान में प्रजनन कराते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में करीब 18 तरह की सजावटी मछलियों की प्रजातियां हैं. इसके अलावा विदेशी सजावटी मछलियां भी हैं, जिनका प्रजनन कराकर CIFA भुनेश्वर की ओर से इसके बीज किसानों को दिए जाते हैं.
डॉ. सरोज ने बताया कि सामान्य मछलियों की तुलना में रंगीन मछलियां सॉफ्ट होती हैं, इसलिए इन्हें सीमेंट टैंक में पाला जाता है, जबकि अम्लीय पानी में रहने वाली मछलियों के लिए थोड़ा तापमान कम होना चाहिए. अगर कोई सजावटी मछली पालन करना चाहता है, तो एक नर और एक मादा का सही अनुपात रखना चाहिए. इसके लिए एक नर और पांच मादा का अनुपात भी रख सकते हैं. उन्हें नियमित तौर पर आहार दें. आहार में 35 फीसदी प्रोटीन की मात्रा रखें. इससे उनका विकास जल्दी और अच्छा होता है. चार महीने बाद ये सजावटी मछलियां बिक्री के लिए तैयार हो जाती हैं, जिसको बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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डॉ सरोज कुमार के अनुसार, मछली पालन छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर से शुरू किया जा सकता है. अगर किसान छोटी इकाई स्थापित करना चाहता है तो वह शेड, मछलियों के फीड और जरूरी समान के लिए शुरू में निवेश करता है. अगर किसान 50 हजार से 60 हजार रुपये निवेश करता है तो हर महीने नेट इनकम के तौर पर तीन से पांच हजार रुपये कमा सकता है. अगर किसान एक लाख 20 हजार निवेश करता है हर महीने आठ से नौ हजार रुपया कमा सकता है. बड़ी परियोजनाओं के लिए किसान अगर 25 लाख निवेश करता है वह हर महीने एक लाख बीस हजार से डेढ लाख रुपया नेट इनकम कमा सकता है. रंगीन मछलियों के पालन के प्रोत्साहन के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है .इसमें महिलाओं के लिए मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 60 फीसदी और पुरुषों के लिए 40 फीसदी तक की सब्सिडी है. सरकार ने रंगीन मछलियों के पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य सम्पदा योजना में अलग से 600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रवधान किया है.