महाराष्‍ट्र में शक्तिपीठ हाईवे का विरोध, मुंबई पहुंचे किसानों ने सरकार को दी कड़ी चेतावनी

महाराष्‍ट्र में शक्तिपीठ हाईवे का विरोध, मुंबई पहुंचे किसानों ने सरकार को दी कड़ी चेतावनी

महाराष्ट्र के 12 जिलों से होकर गुजरने वाले शक्तिपीठ हाईवे को लेकर किसानों में विरोध के सुर उठ रहे हैं. यह हाईवे कोल्हापुर के अंबाबाई से लेकर नांदेड़ के रेणुका देवी जैसे प्रमुख पूजा स्थलों को जोड़ेगा, जिसकी लंबाई 802 किलोमीटर होगी. इसके विराेध में आज मुंबई पहुंचे किसानों ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है कि वे जमीन के सर्वे के लिए अपने अफसरों को न भेजें.

Farmer Protest Over Maharashtra Shakti Peeth Highway ProjectFarmer Protest Over Maharashtra Shakti Peeth Highway Project
क‍िसान तक
  • Mumbai,
  • Mar 12, 2025,
  • Updated Mar 12, 2025, 11:25 PM IST

महाराष्ट्र के कई जिलों से किसान प्रस्तावित शक्तिपीठ हाईवे के विरोध में विधान भवन पहुंचे. मुंबई पहुंचे किसानों ने प्रोजेक्‍ट का विरोध करते हुए सरकार को कड़ी चेतावनी दी है. दरअसल, यह हाईवे महाराष्ट्र के 12 जिलों से होकर गुजरेगा और कोल्हापुर के अंबाबाई से लेकर नांदेड़ के रेणुका देवी जैसे प्रमुख पूजा स्थलों को जोड़ेगा. शक्तिपीठ हाईवे की लंबाई 802 किलोमीटर है. किसान इस प्रोजेक्‍ट के खिलाफ हैं, क्योंकि अधि‍ग्रहण में किसानों की जमीन जाने वाली है. विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) भी प्रोजेक्‍ट का विरोध कर रहा है.

किसानों की 8100 हेक्‍टेयर जमीन होगी अध‍िग्रहित

शक्तिपीठ राजमार्ग के लिए 12 जिलों में करीब 8400 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें से 8100 हेक्टेयर जमीन किसानों से ली जाएगी. इस परियोजना की लागत 86 हजार करोड़ है. किसानों के विरोध के बाद तत्कालीन सीएम एकनाथ शिंदे ने इस परियोजना को रद्द करने का वादा किया था, लेकिन सीएम फडणवीस के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद उन्होंने घोषणा की कि महायुति किसी भी तरह महत्वाकांक्षी शक्तिपीठ हाईवे प्रोजेक्‍ट को पूरा करेगी.

सरकार ने किसानों को भेजे नोटिस

फरवरी में सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की है, लेकिन किसान इसके खिलाफ हैं. सरकार ने उन किसानों को नोटिस भेजा है, जिनकी जमीन का अध‍िग्रहण किया जाना है. कोल्हापुर और पश्चिमी महाराष्ट्र के किसानों के पास बहुत कम जमीन है. उनके पास जीवनयापन के लिए पैसे कमाने के लिए कोई दूसरा साधन नहीं है. सरकार की ओर से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उनके भूमिहीन होने की आशंका है.

'जमीन नहीं बेचना चाहते किसान'

किसानों के अनुसार, सरकार ने जो मुआवजा देने का वादा किया है, वह भी पर्याप्त नहीं है. वे अधिक कीमत पर भी जमीन देने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पास खेती करने और परिवार चलाने के लिए जमीन नहीं बचेगी. शक्तिपीठ हाईवे वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, धाराशिव, परभणी, बीड, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग से होकर गुजरेगा.

किसान नेता राजू शेट्टी और कोल्‍हापुर के कांग्रेस नेता सतेज पाटिल ने आरोप लगाया कि यह परियोजना ठेकेदारों और महायुति सरकार के कुछ नेताओं के फायदे के लिए बनाई जा रही है. यहां तक ​​कि कुछ नौकरशाह भी इसमें शामिल हैं, जो भूमि स्वामित्व का लाभ उठाने के लिए परियोजना की घोषणा करने से पहले ही ऐसा कर चुके हैं.

किसानों ने दी अनहोनी की चेतावनी

अब किसानों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए आज चेतावनी दी है कि अगर कोई सरकारी अधिकारी उनकी जमीन का सर्वेक्षण करने आएगा, तो हम उसे नहीं छोड़ेंगे. इसलिए डर है कि अगर वे जमीन अधिग्रहण करने की कोशिश करेंगे तो कुछ अनचाही घटनाएं हो सकती हैं. दूसरी तरफ सरकार ने आज कहा कि उन्हें इस परियोजना के लिए किसानों से कुछ अनुरोध मिले हैं और वे इससे खुश हैं, लेकिन विपक्ष ने उनसे उन दस्तावेजों और उनके नामों को पेश करने के लिए कहा, जो हाईवे प्रोजेक्‍ट के लिए पूछ रहे हैं. (अभिजीत करांडे की रिपोर्ट)

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