राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है. दूध को संपूर्ण आहार कहा गया है. दूध में शरीर को पोषण देने वाले सभी तत्व जरूर मौजूद होते हैं. इसलिए बच्चे को दूध पिलाने से सभी पोषक तत्व मिलते हैं. नवजात शिशु से लेकर वृद्ध तक सभी के लिए दूध एक आवश्यक भोजन है. वर्गीस कुरियन को भारत में दुग्ध क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है, जिसे श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाता है. जिन्होंने भारत में दूध की कमी को दूर किया था और समाज के हर वर्ग तक दूध पहुंचाया था.
वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को हुआ था. वर्गीज ने दूध उत्पादन बढ़ाने और डेयरी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसीलिए उन्हें मिल्कमैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. भारतीय डेयरी एसोसिएशन और 22 राज्य स्तरीय दुग्ध संघों ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से 2014 में डॉ. वर्गीस कुरियन के जन्मदिन को दुग्ध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. इस तरह पहला दुग्ध दिवस 26 नवंबर 2014 को मनाया गया.
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1970 में, भारतीय राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू किया. जिसे ऑपरेशन फ्लड नाम दिया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मिल्क ग्रिड तैयार करना था. जिससे दूध व्यवसायियों द्वारा की जा रही मनमानी को रोका जा सके. इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने का कार्य वर्गीज़ कुरियन ने किया.
परिणामस्वरूप, भारत में श्वेत क्रांति हुई और भारत दुनिया में दूध और दूध से संबंधित उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया. वर्गीज़ कुरियन ने अपने प्रबंधन कौशल से इस योजना को एक क्रांति में बदल दिया. जिससे भारत में दूध का उत्पादन बढ़ा और ग्रामीण भारत की आय में भी वृद्धि हुई.
दूध की बात करें तो बच्चे जन्म के बाद से ही दूध पीना शुरू कर देते हैं. दूध हमारे शरीर को कैल्शियम की आपूर्ति करता है जो हड्डियों, दांतों और मस्तिष्क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. दुग्ध दिवस मनाने का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन शरीर के लिए दूध की उपयोगिता को समझाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और दुग्ध उत्पादकों के महत्व को समझाने के लिए अभियान चलाए जाते हैं, ताकि जनता इनके महत्व को समझ सके.