नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (Nafed) यानी नेफेड ने महाराष्ट्र में रबी सीजन के प्याज की खरीद शुरू कर दी है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि नेफेड ने देश के सबसे मशहूर प्याज उत्पादक जिले नासिक में सुपर क्वालिटी का प्याज 1156 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा है. यह आज की लागत से भी कम है. इसलिए इस संस्था को दाम तय करने का अपना तौर-तरीका बदलना चाहिए. ताकि किसानों को लागत पर लाभ भी मिले. उनका कहना है कि नेफेड की स्थापना एग्रीकल्चर प्रोडक्ट की सहकारी मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए की गई थी, ताकि किसानों को लाभ मिल सके. लेकिन यह संस्था ऐसा नहीं कर रही है.
दिघोले का दावा है कि इस वक्त अलग-अलग कंडीशन में प्याज की उत्पादन लागत 1500 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है. ऐसे में 1156 रुपये के भाव पर प्याज खरीदने से किसानों को फायदा नहीं मिलेगा. जो नफेड महाराष्ट्र में किसानों से 23 रुपये प्रति किलो तक के दाम पर प्याज खरीद कर चुका है वो अब भाव कम कैसे कर सकता है. क्या यह सहकारी संस्था भी व्यापारियों की तरह काम करेगी?
यहां बड़ा सवाल यह है कि नफेड की प्याज खरीद पर किसान संगठन सवाल क्यों उठा रहे हैं? दरअसल, वो चाहते हैं कि नेफेड किसानों के साथ व्यापारियों की तरह व्यवहार न करे. बल्कि सहकारी संगठन होने की वजह से वो लागत पर मुनाफा जोड़कर दाम तय करे. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार साल 2020-21 में ही महाराष्ट्र में प्रति क्विंटल प्याज की लागत 1075.36 रुपये तक पहुंच चुकी थी. ऐसे में अब 2023 में अगर कोई एजेंसी 1156 रुपये पर प्याज खरीदेगी तो फिर किसानों को क्या फायदा होगा? इसलिए किसान चाहते हैं कि नेफेड अपने खरीद और दाम तय करने का तरीका बदले.
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इस साल नफेड और एनसीसीएफ (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन) ने मिलकर तीन लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने का लक्ष्य रखा है.नेफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर ने बताया कि खरीद के लिए कुछ सेंटर मंडियों में बनाए गए हैं और कुछ प्याज फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ के फेडरेशन के जरिए खरीदा जाएगा. उनका दावा है कि नेफेड की खरीद से ओपन मार्केट में प्याज का दाम बढ़ जाएगा. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार साल 2022-23 के दौरान प्याज का उत्पादन 318 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है. ऐसे में सवाल यह भी है कि इतने उत्पादन में सिर्फ तीन लाख टन की खरीद से कितने किसानों को फायदा होगा.
(Source: Maharashtra State Agriculture Marketing Board)