आने वाले सप्ताह में देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम की स्थिति में कई बदलाव देखने को मिल सकती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिणी भारत के कई राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की आशंका है, वहीं बिहार और पश्चिम बंगाल में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है.5 जून की रात से एक और पश्चिमी विक्षोभ के पश्चिमी हिमालय तक पहुंचने की संभावना है. ऐसे में आज देशभर में कैसा रहेगा मौसम/Weather Update, किसानों का प्रदर्शन/Farmer Protest, फसल मुआवजा/Crop Compensation, मंडी समाचार/ Mandi News, पीएम-किसान की किस्त/PM-Kisan, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना/PMFBY, एमएसपी/MSP पर फसलों की खरीदारी और खेती-किसानी से जुड़ी हर अपडेट जानने के लिए पढ़ते रहें आज का हमारा लाइव अपडेट्स (Live Updates)-
कृषि क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो हमें न केवल भोजन बल्कि कई प्रकार के कच्चे माल भी प्रदान करता है. टेक्नोलॉजी में आधुनिक विकास और इंडस्ट्री में नवाचार के साथ, कृषि में करियर का दायरा काफी बढ़ गया है. वहीं एक किसान बनने के अलावा कृषि क्षेत्र में करियर बनाने के लिए और भी बहुत कुछ है. इसलिए, यदि आप कृषि क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि आपके लिए क्या बनना सबसे बेहतर है और उसके लिए आपको क्या पढ़ने की जरूरत है, तो आज हम आपको एग्रीकल्चर सेक्टर में टॉप करियर के बारे में बताएंगे-
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मोटे अनाजों को 'सुपर फूड' के नाम से भी जाना जाता है. ये कई पोषक गुणों से युक्त होते हैं. इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है. यही वजह है कि देश में मोटे अनाजों के सेवन के लिए मांग को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. वही, इसका असर अब दिखने भी लगा है. दरअसल, अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चे मिड डे मील में आलू-पूरी और सब्जी दलिया की जगह चना मसाला वाला रागी हलवा खाएंगे.
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दाल और तेल भारत के लिए बड़ी सिरदर्दी हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इनके आयात पर सरकारी खजाना खाली होता है. आयात भी इसलिए होता है क्योंकि देश में उत्पादन कम होता है जबकि खर्च बेतहाशा है. आबादी और आमदनी बढ़ने से लोगों की जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं. लोग दाल और खाद्य तेलों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. दूसरी ओर, उस हिसाब से उत्पादन नहीं हो पा रहा. ऐसी स्थिति में आयात ही एकमात्र विकल्प बचता है. आयात भी लाखों टन में होता है. फिर सरकारी खजाना खाली होना जाहिर सी बात है. हालांकि इसमें कुछ तब्दीली भी देखी जा रही है. खाद्य तेलों में हालात बहुत अधिक नहीं सुधरे, मगर दालों में देश आत्मनिर्भर हुआ है. खासकर, मौजूदा सरकार के पिछले नौ वर्षों में.
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि डोडा जिले का भद्रवाह देश की लैवेंडर राजधानी के रूप में उभरा है और युवाओं के लिए स्टार्ट-अप का जगह बन गया है. इसके अलावा मंत्री ने भद्रवाह को भारत की 'बैंगनी क्रांति' का जन्मस्थान और एग्रीकल्चर आधारित स्टार्ट-अप का जगह भी बताया. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्र में लैवेंडर की खेती का जिक्र करते हुए कहा कि आज जम्मू-कश्मीर में 2,500 किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. इस नई खेती से किसानों की आय में कई गुना वृद्धि हुई है. इसके अलावा, जलवायु परिस्थितियां समान होने की वजह से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने लैवेंडर की फसल उगाने में रुचि दिखाई है, जिससे किसानों को अच्छी इनकम करने में मदद मिली है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं केंद्रीय मंत्री ने क्या कुछ कहा है-
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कहा जाता है कि अगर धरती पर कहीं जन्नत है तो वह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में है. पर आतंकवाद ने इस जन्नत को ऐसा डंसा कि दशकों से यहां के लोगों का जीवन डर और संघर्षों के बीच गुजरा है. घाटी की ये तस्वीर अब बदलने लगी है. अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया में पहचान बनाने वाले जम्मू कश्मीर को अब खुशबू के लिए भी जाना जाएगा. यहां के भद्रवाह घाटी में दो दिन के जिस लैवेंडर महोत्सव (Lavender Festival) का आयोजन किया गया, वो बता रहा है कि कश्मीर और कश्मीरी युवाओं का जीवन अब शांतिपूर्ण तरीके से बीत रहा है. यहां के किसान अब शांति और विकास की राह पर अग्रसर हैं. केंद्र सरकार ने कश्मीर के युवाओं और किसानों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं लागू की है, जिससे जुड़कर कश्मीरी किसान और युवा कम खर्च में अच्छी आय अर्जित कर यहां की खूबसूरती बढ़ा सकते हैं.
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मॉनसून की शुरुआत होने वाली है. इसके साथ की खरीफ फसल की खेती की तैयारी भी शुरू हो जाएगी. देश में खरीफ सीजन में मुख्य तौर पर धान की खेती की जाती है. झारखंड में धान के अलावा मकई की खेती मुख्य तौर पर की जाती है. धान की अच्छी उपज किसानों को मिले इसके लिए किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है और किसानों के लिए धान की रोपाई से संबंधित सलाह भी जारी किया गया है. इन सलाह का पालन करके किसान धान की अच्छी उपज पा सकते हैं. मसलन, किसान धान की खेती से पहले बीजों का उपचार जरूर करें, इससे बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा. गौरतलब है कि धान झारखंड राज्य की प्रमुख फसल है. यहां के अधिकांश भागों में रोहिणी नक्षत्र के साथ ही बिचड़ा तैयार करने का कार्य शुरू हो जाता है.अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए अच्छा और स्वस्थ बिचड़ा का होना जरूरी होता है. इसलिए किसानों को सही समय पर बिचड़ा तैयार करना चाहिए और किसानों को जानना चाहिए की क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ताकि वह स्वस्थ बिचड़ा तैयार कर सकें. बिचड़ा तैयार करने के लिए किसानों को सबसे पहले अपने क्षेत्र के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उन्नत किस्म के बीज का ही इस्तेमाल करें.
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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि मदर डेयरी नागपुर में एक परियोजना में 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. इसके लिए सरकार उसे 10 हेक्टेयर जमीन देगी. नरेंद्र मोदी सरकार की नौ वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए गडकरी ने पत्रकारों से कहा कि प्रस्तावित संयंत्र से डेयरी उत्पादों की देशभर में आपूर्ति की जाएगी.
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में गेहूं की सरकारी खरीद सिर्फ 261.91 लाख मीट्रिक टन पर सिमट गई है. जबकि केंद्र सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 341.5 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा था. खरीद कम होने की मुख्य वजह ओपन मार्केट में गेहूं का अच्छा दाम बताया जा रहा है. किसानों को यह भी उम्मीद है कि आगे चलकर भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार जाएगा. ऐसे में किसानों ने इस साल भी अब एमएसपी पर गेहूं बेचना बंद कर दिया है. वर्तमान खरीद सीजन में अब तक सिर्फ 21,26,615 किसानों ने ही सरकार को गेहूं बेचा है. यह संख्या काफी कम है. पंजाब के सबसे ज्यादा 8,34,993 किसानों ने गेहूं की एमएसपी का फायदा उठाया है. यहां देश में सबसे ज्यादा 121.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. जबकि 132 लाख मीट्रिक टन का टारगेट रखा गया था. मध्य प्रदेश इस मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां इस साल अब तक 7,96,710 किसानों ने सरकार को अपना गेहूं बेचा है. जबकि, हरियाणा में 4,10,237 किसानों ने गेहूं की एमएसपी का फायदा उठाया. सरकार ने वर्तमान खरीद सीजन में 2125 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर गेहूं की खरीद की है.
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आने वाले सप्ताह में देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम की स्थिति में कई बदलाव देखने को मिल सकती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिणी भारत के कई राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की आशंका है, वहीं बिहार और पश्चिम बंगाल में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है.5 जून की रात से एक और पश्चिमी विक्षोभ के पश्चिमी हिमालय तक पहुंचने की संभावना है. जिस वजह से चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों पर बना हुआ है. एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण छत्तीसगढ़ और उससे सटे तेलंगाना पर निचले स्तरों पर बना हुआ है.
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