बाजरा और मछली का खानपान हेल्दी फूड की कैटेगिरी में शामिल किया जाता है. साथ ही मछली और बाजरे से बने पकवान केरल की रसोई में तरह-तरह के पकवानों की लिस्ट को और बड़ा करते हैं. इस तरह के पकवान केरल की रसोई को मशहूर करने के साथ ही स्वादिष्ट भी बनाएंगे. इतना ही नहीं मछली के साथ बाजरे का इस्तेमाल दूसरे राज्यों के किसानों को अपना प्रोडक्ट केरल में बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराएगा. ये कहना है आईसीएआर के केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), कोच्चि, केरल के निदेशक डॉ. ए. गोपालकृष्णन का.
गौरतलब रहे सीएमएफआरआई का एर्नाकुलम कृषि विज्ञान केंद्र 28-30 दिसंबर को कोच्चि में तीन दिवसीय 'बाजरा और मछली' उत्सव का आयोजन करने जा रहा है. डॉ. गोपालकृष्णन ने बताया कि इस उत्सव का मकसद मछली और बाजरे के पोषण मूल्य और स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना है. बाजरा के फायदे के साथ संतुलित आहार के लिए मछली का साथ एक बेहतर विकल्प है.
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सीएमएफआरआई के प्रिंसीपल साइंटिस्ट और केवीके के हैड डॉ. शिनोज सुब्रमण्यम ने किसान तक को बताया कि बाजरा-मछली उत्ससव तीन दिन तक चलेगा. इस दौरान उत्सजव में बाजरा-मछली के खरीदार-विक्रेता की बैठक, बाजरा और मछली फूड उत्सव, जिंदा मछली की बिक्री, बाजरा और बाजरा आधारित उत्पादों की बिक्री, बाजरा कुकरी शो, बाजरा रेसिपी प्रतियोगिता, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी, आइटम भी लॉन्च किए जाएंगे.
उत्सव के दौरान लक्षद्वीप के किसानों का एक स्टॉल भी होगा जिसमें लक्षद्वीप के स्वदेशी कृषि उत्पाद और फूड आइटम भी प्रदर्शित किए जाएंगे. उत्सव में देशभर के बाजरा किसान और किसान उत्पादक कंपनियां, बाजरा उद्यमी, मछली प्रोसेसर, स्वयं सहायता समूह और स्टार्ट-अप भी हिस्सा लेंगे.
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डॉ. शिनोज सुब्रमण्यम मुताबिक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), आईसीएआर-भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद, खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय केरल, आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी), राष्ट्रीय संस्थान फिशरीज पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी एंड ट्रेनिंग (एनआईएफपीएचएटीटी), सोसाइटी फॉर असिस्टेंस टू फिशरवुमेन (एसएएफ), फूड क्राफ्ट्स इंस्टीट्यूट, कलामासेरी, केरल होटल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन और ऑल केरल बेकर्स एसोसिएशन समेत कई अन्य लोगों का भी इस कार्यक्रम में योगदान रहेगा.