
गोविंद भोग चावल इन दिनों चर्चा में है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा है जिसमें गोविंद भोग (Govind Bhog Rice)चावल पर छूट देने की बात कही गई है. जान लीजिए क्या होता है गोविंद भोग चावल, क्यों की गई है छूट की मांग और चावल की इस किस्म से जुड़ी अन्य खास बातें-
क्यों की गई है गोविंद भोग चावल पर छूट देने की मांग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को खत में लिखा है कि बासमती चावल को 20 प्रतिशत सीमा शुल्क से छूट दी गई है. ऐसे में अनुरोध है कि जिस तरह बासमती को छूट दी गई है, उसी तरह गोविंद भोग चावल को भी छूट दी जाए. ममता बनर्जी ने आगे लिखा है, 'दुर्भाग्य से भारत सरकार ने चावल पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाया है. इसके परिणामस्वरूप धान की मांग और घरेलू कीमत पर नकारात्मक प्रभाव से प्रीमियम गोविंद भोग किस्म का निर्यात कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसका असर किसानों की आय पर भी हुआ है.' अब देखना होगा कि ममता बनर्जी के इस पत्र का क्या असर होता है और किसानों की स्थिति को देखते हुए सरकार की तरफ से क्या फैसला लिया जाता है.
क्या होता है गोविंद भोग चावल
गोविंद भोग छोटे दाने वाले खुशबूदार चावल होता है. पश्चिम बंगाल के कई जिलों में इसकी खेती होती है. पूर्बा बर्धमान जिले को धान की इस किस्म के उत्पादन के लिए खासतौर पर जाना जाता है. धान की आम फसल के बाद ही इसकी कटाई की जाती है. इसके अलावा भी कई मायनों में यह धान की आम फसल से अलग है. मसलन ज्यादा बारिश की वजह से भी इसे खास नुकसान नहीं होता है. इसमें कीटों का खतरा भी कम होता है. इसकी पैदावार भी अच्छी होती है और इसकी खेती से किसानों की आय भी सुनिश्चित रहती है. साल 2017 में इसे ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन (GI) अवॉर्ड भी दिया गया था. इसके बाद से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी इसकी मांग काफी बढ़ गई है.
गोविंद भोग चावल से ही बनेगा अयोध्या में रामलला का प्रसाद
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है. इस बीच एक खबर यह भी आ चुकी है कि यहां रामलला के भोग का प्रसाद भी गोविंद भोग चावल से ही तैयार किया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले भी राम रसोई और भगवान के भोग की सेवा लगातार चलती रहेगी. इस दौरान गोविंद भाग चावल से ही रामलला का प्रसाद बनेगा.