भारत चीनी (शुगर) के उत्पादन के मामले में नंबर-1 है, जबकि इसके निर्यात के मामले में दूसरे नंबर पर है. अक्टूबर से नए चीनी मार्केटिंग के नए सीजन की शुरुआत होती है. लेकिन, केंद्र सरकार ने अभी चीनी के निर्यात पर बैन लगा रखा है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने एक बैठक में यह साफ कर दिया है कि जब तक भारत इथेनॉल की घरेलू जरूरत पूरी नहीं कर लेता तब तक चीनी निर्यात नहीं की जाएगी. इसके बाद ही निर्यात पर कोई फैसला लिया जाएगा. इस दौरान उन्होंने बताया कि इन जरूरतों को पूरा करने के बाद भी देश के पास 2024-25 सीजन के दौरान एक्सपोर्ट के लिए 10 लाख टन चीनी सरप्लस में बची रहेगी.
'बिजनेस स्टैंडर्ड' की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोशिएशन (ISMA) की सालाना आम बैठक में शामिल हुए. उन्होंने बैठक में कहा कि उत्पादन और खपत की वर्तमान स्थिति के हिसाब से अपनी सभी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद हमारे पास लगभग 10 से 12 लाख टन चीनी सरप्लस में होगी. लेकिन, निर्यात पर इथेनॉल की घरेलू जरूरत पूरी होने के बाद ही कोई फैसला संभव होगा.
सरकार के आकलन के हिसाब वर्तमान सीजन में देश का कुल सकल चीनी उत्पादन 32 मिलियन टन अनुमानित है, जबकि शुरुआती स्टॉक 7.9 मिलियन टन अनुमानित है. इस प्रकार सीजन में कुल आपूर्ति (सप्लाई) लगभग 40 मिलियन टन होगी, जबकि खपत 29 मिलियन टन रहने का अनुमान है. वहीं, इथेनॉल की जरूरतों को पूरा करनने के लिए 4 मिलियन टन चीनी के डायवर्जन का अनुमान है.
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ऐसे में लगभग 6.9 मिलियन टन चीनी सरप्लस में बचेगी. वैश्विक बाजार में महीनों से चीनी सेक्टर में उथल-पुथल मची हुई थी, लेकिन अभी स्थिति बेहतर नजर आ रही है. देश को हर साल शुरुआत में चीनी की खपत पूरी करने के लिए करीब 5.7-5.9 मिलियन टन चीनी की जरूरत पड़ती है. यह ढाई महीने का प्रारंभिक स्टॉक होता है.
वहीं ISMA ने सरकार को चीनी निर्यात से प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है. संगठन ने हवाला दिया है कि वैश्विक बाजार में कीमतें सही बनी हुई हैं और निर्यात के मौके दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं. ISMA के अध्यक्ष गौतम गोयल ने मीडिया से बात करते हुए तर्क दिया कि ताजा हालात के हिसाब से चीनी की कीमतें लगभग 500 डॉलर प्रति टन पर हैं. ऐसे में हमारे पास मई तक अतिरिक्त नकदी हासिल करने का अच्छा मौका है, क्योंकि मई के आसपास वैश्विक बाजार में ब्राजील से गन्ना फसल आने से वहां से चीनी निर्यात होने लगेगी, जिसके कारण कीमतें कम होंगी.
ISMA अध्यक्ष ने कहा कि अभी की कीमतों पर चीनी निर्यात करने से जो अतिरिक्त लाभ होगा, उससे गन्ना किसानों को भुगतान में बड़ी मदद मिलेगी. ISMA अध्यक्ष ने बताया कि उनके अनुमान के मुताबिक, देश में 2 मिलियन टन चीनी सरप्लस में रहेगी. ऐसे में केंद्र सरकार को दो किस्तों में चीनी निर्यात की अनुमति देनी चाहिए.