पश्च‍िम बंगाल के इस एफपीओ के साथ जुड़े 590 क‍िसान, मशरूम उत्पादन से कर रहे हैं कमाई 

पश्च‍िम बंगाल के इस एफपीओ के साथ जुड़े 590 क‍िसान, मशरूम उत्पादन से कर रहे हैं कमाई 

FPO of the Day: एफपीओ के लीडर बिप्रोज्योति भौमिक ने कहा क‍ि क‍िसानों को मशरूम उत्पादन की ट्रेन‍िंग दी जा रही है. उनसे खेती करवाई जा रही है. मशरूम की बड़ी, अचार, नूडल्स और मशरूम का पाउडर भी बनाकर बेचा जा रहा है. ज‍िससे क‍िसानों को लाभ म‍िल रहा है. 

मशरूम की खेती कर किसान कमा रहे मुनाफा: Photo Credit: Kisan Takमशरूम की खेती कर किसान कमा रहे मुनाफा: Photo Credit: Kisan Tak
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 20, 2023,
  • Updated Jun 20, 2023, 3:59 PM IST

पश्च‍िम बंगाल के कूचबिहार ज‍िले में मशरूम की खेती करने वाले 590 क‍िसान एक साथ जुड़कर अपने ब‍िजनेस को आगे बढ़ाने की कोश‍िश में जुटे हुए हैं. यह क‍िसान जुड़े हैं एक फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी यानी एफपीओ के जर‍िए. जब यह एफपीओ बना था तब इसमें स‍िर्फ सौ क‍िसान जुड़े हुए थे. स्माल फार्मर्स एग्री ब‍िजनेस कंर्सोट‍ियम यानी एसएफएसी (SFAC) द्वारा बनवाए गए इस एफपीओ का नाम न्यू एग्रीवर्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड. ज‍िसकी प्रेरक कहानी से मशरूम की खेती को उद्योग में बदलने के ल‍िए क‍िसान जुड़ते चले गए. अब इस काम से जुड़े क‍िसानों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है. इस एफपीओ के लीडर बिप्रोज्योति भौमिक हैं. 

भौम‍िक ने 'क‍िसान तक' से बातचीत में कहा क‍ि यह एफपीओ मशरूम उत्पादन की ट्रेन‍िंग और सीड प्रोडक्शन भी करता है. मशरूम बेचने तक ही इसका काम सीम‍ित नहीं है. बल्क‍ि उससे आगे बढ़कर मशरूम की बड़ी, अचार, नूडल्स और मशरूम का पाउडर भी बनाकर बेचा जा रहा है. ज‍िसकी खूब मांग आ रही है. एफपीओ से जुड़े क‍िसान कुल आठ क‍िस्म के मशरूम की खेती कर रहे हैं. इसकी वजह से हर सीजन में इसका उत्पादन हो रहा है. भौम‍िक का कहना है क‍ि जब क‍िसानों का ग्रुप एफपीओ के बैनर तले एकत्र होकर काम करता है तो उन्हें फायदा पहुंचता है. 

मशरूम की खेती के बारे में जान‍िए

मशरूम की खेती में तापमान, आर्द्रता और प्रकाश का बहुत महत्व है. मशरूम की विभिन्न प्रजातियां हैं, जिनकी खेती की जा सकती है, जैसे कि सीप मशरूम, शिटेक मशरूम और बटन मशरूम. एक प्रजाति का चयन करें जो आपकी प्राथमिकताओं और स्थानीय बढ़ती परिस्थितियों के अनुकूल हो. मशरूम एक सब्सट्रेट पर उगते हैं, जो पुआल, लकड़ी के चिप्स, चूरा या कृषि अपशिष्ट सहित कई प्रकार की सामग्री हो सकती है.किसानों को मशरूम की खेती से सही लाभ मिल सके इसके लिए न्यू एग्रीवर्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बिप्रोज्योति भौमिक न केवल मशरूम की खेती करवा रहे हैं बल्क‍ि इससे जुड़ा प्रशिक्षण देकर ग्रामीण समुदायों को सशक्त भी बना रहे हैं. 

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क्या होगा फायदा

यह एफपीओ जतरापुर, राजारहाट, जिला- कूचबिहार, पश्चिम बंगाल में स्थित है. दावा है क‍ि इस वक्त 2500 से अधिक लोग सीधे कंपनी के साथ व्यापार कर रहे हैं, न्यू एग्रीवर्स ने टिकाऊ मशरूम खेती प्रथाओं पर केंद्रित एक मजबूत नेटवर्क बनाया है. कंपनी को एसएफएसी, कृषि विज्ञान केंद्र कूचबिहार और उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय से सहयोग मिला है. एफपीओ का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं, पुरुषों और बेरोजगार युवाओं सहित छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना है, उनके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए मशरूम की खपत को बढ़ावा देना और कृषि अपशिष्ट की रीसाइक्लिंग क्षमता का लाभ उठाना है. 

किसानों को दे रही है मदद

न्यू एग्रीवर्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी मशरूम की खेती की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए किसानों को आवश्यक उपकरण और संसाधन भी मुहैया करवा रही है. कंपनी ने एक स्वदेशी हाई-टेक मशरूम स्पॉन लैब की स्थापना की है, जो ऑयस्टर, मिल्की, बटन, शीटकेक, गैनोडर्मा, लॉयन्स माने, एनोकी और मैटेक जैसे मशरूम स्पॉन की विभिन्न किस्मों की आपूर्ति करती है. कंपनी किसानों से सभी मशरूम वापस खरीदती है, उनके लिए एक गारंटीकृत बाजार तैयार करती है और मशरूम को उपयोग के लिए तैयार भोजन और उत्पादों में परिवर्तित करती है. 

प्रशिक्षण और सहायता

न्यू एग्रीवर्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी मशरूम की खेती और प्रसंस्करण पर नियमित रूप से अन्य किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दे रही है. यह प्रशिक्षण किसानों को आधुनिक मशरूम की खेती की तकनीक से सशक्त बनाता है, एक स्थायी आय स्रोत सुनिश्चित करता है और जीवन स्तर में सुधार करता है.

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