औषधीय पौधों की लाभदायक खेती के लिए किसान और खरीदार एक दूसरे का सहयोग करें : डॉ. के.बी. कथीरिया

औषधीय पौधों की लाभदायक खेती के लिए किसान और खरीदार एक दूसरे का सहयोग करें : डॉ. के.बी. कथीरिया

डॉ. के.बी. कथीरिया, माननीय कुलाधिपति, आनंद कृषि विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में भारतीय कृषि और किसानों की समृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि औषधीय फसलों की लाभदायक खेती के लिए किसानों और खरीदारों के बीच आपसी सहयोग की तत्काल आवश्यकता है.

औषधीय और सुगंधित पौधों की मदद से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 25, 2023,
  • Updated Mar 25, 2023, 11:09 AM IST

भारत सरकार ने लाभदायक खेती के लिए अत्यधिक मांग वाली औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती करने की पहल की है. इसकी खेती, कटाई के बाद के प्रबंधन, विपणन चैनल और इसके गुणवत्ता मानकों के बारे में हर्बल उद्योग की समझ के बारे में किसानों और हर्बल उद्योग के बीच एक बड़ा अंतर है. इस अंतर को कम करने के लिए, औषधीय और सुगंधित पौधों की मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले औषधीय और सुगंधित फसल अनुसंधान केंद्र बोरियावी खाटीवाड़ी द्वारा “औषधीय और सुगंधित पौधों पर भागीदारी क्रेता-विक्रेता बैठक” पर एक जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन 23-24,मार्च, 2023 को किया गया था. दो दिवसीय संगोष्ठी में गुजरात के विभिन्न जिलों के 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया था.

डॉ. के.बी. कथीरिया, माननीय कुलाधिपति, आनंद कृषि विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में भारतीय कृषि और किसानों की समृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि औषधीय फसलों की लाभदायक खेती के लिए किसानों और खरीदारों के बीच आपसी सहयोग की तत्काल आवश्यकता है. जैविक खेती, प्राकृतिक खेती और कृषि में सुरक्षित रसायनों का उपयोग मानव स्वास्थ्य को विभिन्न रासायनिक संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए वर्तमान समय की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें: Rajasthan: राज्य में 44 नए वेटलेंड्स घोषित, अब किसान इन जगहों पर नहीं कर सकेंगे खेती

औषधीय एवं सगंधीय फसल अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. मनीष दास ने अपने मुख्य भाषण में मानव स्वास्थ्य में औषधीय एवं सगंधीय पौधों के महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा कि किसानों और हर्बल उद्योगों को अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए हर्बल क्षेत्र और अन्य पारंपरिक फसलों के साथ औषधीय और सुगंधित फसलों को विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है. हर्बल क्षेत्र के विकास के लिए कृषक समूहों और कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन अत्यंत आवश्यक है.

ये भी पढ़ें: फसली मुआवजे के लिए सड़कों पर उतरे किसान, बीमा कंपनी के खिलाफ खोला मोर्चा

संगोष्ठी में मुख्य रूप से अच्छी कृषि पद्धतियों, अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी), कटाई के बाद के प्रबंधन पहलुओं, मूल्यवर्धन, विपणन चैनल और औषधीय और सुगंधित पौधों के हर्बल उद्योगों की गुणवत्ता मानकों की आवश्यकताओं जैसे विषयों पर व्याख्यान और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया. संगोष्ठी अंततः किसानों को औषधीय और सुगंधित फसलों की व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ने में मदद करेगी, जिससे जंगल से अनैतिक कटाई का बोझ कम होगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन फसलों की प्राकृतिक जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकेगा. कार्यक्रम का संचालन निदेशालय के वैज्ञानिक गणेश खड़के ने किया.

MORE NEWS

Read more!