Holi 2023: चटक लाल प्राकृत‍िक रंग के ल‍िए जाना जाता है पलाश का फूल, जानें और क्या हैं खास‍ियत

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Holi 2023: चटक लाल प्राकृत‍िक रंग के ल‍िए जाना जाता है पलाश का फूल, जानें और क्या हैं खास‍ियत

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पलाश के फूल को झारखंड का राजकीय फूल कहा जाता है. होली के त्योहार में इसका खास महत्व है. इसके फूल को उबालकर उसकी पंखुड़ियों को अलग किया जाता है. फिर इससे रंग निकल जाता है. इसका रंग ऐसा होता है कि अगर कपड़े पर लग जाए तो कपड़ा फट जाता है पर इसका रंग नहीं निकलता है. वहीं हर्बल रंग होने के कारण इससे स्किन और बालों को कोई नुकसान नहीं होता है. 

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झारखंड के जंगलों में पलाश बहुतायत मात्रा में पाया जाता है. वसंत ऋतु में इसके फूल खिलते हैं, जो फागुन महीने का एहसास दिलाते हैं. ये बेहद खूबसूरत दिखते हैं. मानों हरे-भरे जंगल में किसी ने दहकते हुए अंगारे रख दिए हैं. इसके फूल से ऑर्गेनिक रंग और गुलाल तैयार किया जाता है.

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होली आने वाली है और इन दिनों पलाश के फूलों की बहार है. एक जमाने में इसे होली के रंग बनाने में प्रयोग किया जाता था. लाल रंग के इस खूबसूरत फूल को लोग होली के कई दिनों पहले से ही पानी में भिगो कर रख देते थे और फिर उबालकर इससे रंग बनाते थे.

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इसके बने रंग से होली खेली जाती थी और इसकी खुश्बू से सारा वातावरण महक उठता था. आज भी इसे मथुरा, वृंदावन और शांति निकेतन आदि जगहों पर होली में प्रयोग किया जाता है. पलाश को कई जगहों पर टेसू के नाम से भी जाना जाता है. पलाश के फूल में कई औषधीय गुण भी होते हैं.

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पलाश पेड़ के फूल, बीज और जड़ों की औषधियां बनाई जाती हैं और पौराणिक काल से ही आयुर्वेद में इसका प्रयोग किया जाता रहा है. पलाश के अनेकों फायदे हैं.

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आपको बता दें कि पलाश के बीज में एंटी वर्म गुण पाया जाता है. आयुर्वेद में इसका प्रयोग इसके बीज को पीसकर पेट के कीड़ों को नष्ट करने में किया जाता रहा है. अगर पलाश के बीज के पाउडर को रेगुलर खाया जाए तो पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं. इसे आप एक चम्मच शहद के साथ सुबह खाली पेट खा सकते हैं. 

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पलाश के फूल में एस्ट्रिंजेंट गुण पाया जाता है जो पेट की समस्या में आराम पहुंचाता है. इसका प्रयोग पेचिश और दस्त जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. अगर आप इसका रोज सेवन करें तो हर तरह की पेट की समस्या दूर हो सकती है.

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