
प्याज के भाव में गिरावट होती नहीं दिख रही. तमाम सरकारी कोशिशों के बाद भी प्याज अपने भाव को लेकर टाइट बना हुआ है. सरकारी एजेंसियों के जरिये खुले में प्याज बेचा जा रहा है, लेकिन उसकी सप्लाई नाकाफी है. खुदरा रेट में बढ़ोतरी के पीछे असली वजह बताई जा रही है कि मंडियों में ही प्याज महंगा बिक रहा है. ये हालत तब है जब मंडियों में प्याज की आवक तगड़ी बनी हुई है. लिहाजा, मान कर चलें कि जब तक मंडियों में प्याज सस्ता नहीं होता, तब तक खुदरा में भाव गिरने की गुंजाइश कम है.
2 दिसंबर को महाराष्ट्र की 48 मंडियों में प्याज की नीलामी हुई. इसमें 28 में अधिकतम थोक दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल और उससे अधिक रहा. जबकि 12 मंडियों में 6000 रुपये प्रति क्विंटल और उससे अधिक रहा. सोलापुर में एक ही दिन में रिकॉर्ड 58708 क्विंटल प्याज बिकने आया, फिर भी अधिकतम थोक दाम 7000 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया. नीचे टेबल में प्रमुख मंडियों के भाव दिए गए हैं.
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| मंडी | आवक (क्विंटल में) | न्यूनतम भाव (रु/क्विंटल) | अधिकतम भाव (रु/क्विंटल | औसत भाव (रु/क्विंटल |
| पुणे (3 दिसंबर) | 13643 | 2000 | 7000 | 4500 |
| कोल्हापुर | 6862 | 1000 | 5500 | 2500 |
| सोलापुर | 58708 | 500 | 7000 | 2600 |
| मनचार | 97 | 3250 | 5750 | 4500 |
| सतारा | 361 | 2000 | 6000 | 4000 |
| जुन्नर (नारायणगांव) | 18 | 1000 | 6000 | 4000 |
| बारामती | 376 | 2500 | 6800 | 5000 |
(पुणे को छोड़कर सभी मंडियों के रेट और आवक 2 दिसंबर के हैं)
अभी 5 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर प्याज की कीमतें चल रही हैं. कारणों की बात करें तो एक्सपोर्ट में दनादन उछाल, एक्सपोर्ट की मांग में तेजी, खराब मौसम से फसल का खराब होना और लोकल मार्केट में मांग में तेजी आने से इसकी कीमतें बढ़ी हुई हैं. ऐसा कहा गया था कि नवंबर में सप्लाई दुरुस्त होने से दाम में गिरावट आएगी, लेकिन नवंबर महीना बीत गया और दिसंबर आ गया, दाम जस के तस बने हुए हैं. व्यापारियों की मानें तो मध्य दिसंबर से पहले प्याज के दाम में गिरावट आती नहीं दिखती.
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