Onion Price: प्याज किसानों पर संकट... 2 रुपये किलो तक गिरे भाव, लागत भी नहीं निकल पा रही

Onion Price: प्याज किसानों पर संकट... 2 रुपये किलो तक गिरे भाव, लागत भी नहीं निकल पा रही

मध्य प्रदेश के मंदसौर, रतलाम और खंडवा मंडियों में प्याज के भाव 2-3 रुपये किलो तक गिरे. किसानों को लागत वसूलने में भी मुश्किल, सरकार से प्याज और लहसुन पर MSP लागू करने की मांग तेज.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 12, 2025,
  • Updated Nov 12, 2025, 3:57 PM IST

मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है. इससे प्रभावित किसानों को खेती और ढुलाई का खर्च निकालने में भी मुश्किल हो रही है. कीमतों में भारी गिरावट के कारण कई किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिससे सरकारी मदद की मांग उठ रही है. मंदसौर जिले के पंथ पिपलोदा के किसान बब्बू मालवी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "मैंने एक बीघा जमीन पर प्याज बोया और लगभग 6-7 क्विंटल प्याज मिला. आज प्याज का भाव 1.99 रुपये प्रति किलो था, जो 2 रुपये भी नहीं है. इससे हमारे मंडी आने-जाने का खर्च भी पूरा नहीं हो पाता."

मालवी ने कहा कि एक दिन का खर्च ही कम से कम 100 रुपये है, खाने और किराये का पैसा अलग से. ऐसे में किसान कैसे कमाई करेगा. तीन दिन से मंडी में आए हैं और जेब से ही खाने का 100-150 रुपये रोज जा रहा है. एक और किसान भोपाल सिंह सिसोदिया ने भी अपनी बात बताई. वे बरखेड़ा के हैं और मंदसौर मंडी में प्याज बेचने आए हैं. वे मंडी में 7 क्विंटल प्याज बेचने के लिए लाए थे जिसका रेट मिला है 170 रुपये प्रति क्विंटल, यानी 1.70 रुपये. बिक्री के बाद लागत भी नहीं निकला और किराया-भाढ़ा भी नहीं मिला.

2-3 रुपये तक गिरी कीमत

सिसोदिया ने कहा कि मंडी में प्याज लाने के लिए उन्होंने एक हजार रुपये भाड़ा खर्च किया, लेकिन बिक्री के बाद 700 रुपये ही निकल पाए हैं. हालत ये है कि अभी किसानों को जेब से ही भरना पड़ रहा है और अधिकांश किसानों की यही हालत है. प्याज किसान को भाव नहीं मिल पा रहा है. अगर भाव मिले तो किसान को फायदा होगा. लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है. सरकार से मांग है कि मंडी में 2000-3000 रुपये प्याज बिकना चाहिए. हजार से नीचे भाव जाने पर पूरा का काम नुकसान हो रहा है. 

उधर, खंडवा से मिली हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि प्याज की कीमतें गिरकर केवल 3 रुपये प्रति किलो रह गई हैं, और कई किसान अपनी बुनियादी लागत वसूल न कर पाने के कारण अपनी फसलें नष्ट कर रहे हैं. वे इस भारी गिरावट के लिए सरकार के लगाए निर्यात प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं.

किसानों ने MSP की मांग की

'ईटीवी भारत' के अनुसार, मालवा क्षेत्र के किसान प्याज की कीमतों में भारी गिरावट के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं और सरकार से प्याज और लहसुन दोनों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करने की मांग कर रहे हैं. यह भारी गिरावट महीनों से रखे गए पुराने प्याज स्टॉक और बाजार में नई आवक, दोनों के कारण है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रतलाम कृषि उपज मंडी में दर्ज न्यूनतम मूल्य में भारी गिरावट आई है और यह 200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जो 2 रुपये प्रति किलो के बराबर है, जबकि औसत मूल्य लगभग 600 रुपये प्रति क्विंटल रहा. खेती की भारी लागत, जो अनुमानित रूप से 30,000 से 35,000 रुपये प्रति एकड़ के बीच है, मौजूदा बाजार दरों से पूरी नहीं हो पा रही है. कुछ किसानों को कथित तौर पर 250 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम दाम मिला, जिससे फसल को मंडी तक पहुंचाने का खर्च मुश्किल से ही पूरा हो पाया.

थोक बनाम खुदरा दाम का हाल

अप्रैल में खेत से निकले प्याज की कीमतें अभी काफी कम हैं. इस साल ज्यादा उत्पादन के कारण यह गिरावट आई है, लेकिन किसानों की थोक आमदनी 10 रुपये प्रति किलो से कम बनी हुई है, जबकि खुदरा कीमतें लगभग 15 रुपये प्रति किलो हैं. इससे किसानों के मुनाफे और ग्राहकों की खरीद कीमतों के बीच भारी अंतर का पता चलता है.

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