
हरियाणा सरकार ने राज्य में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम उठाया है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उपस्थिति में बुधवार को हरियाणा सिविल सचिवालय में क्वालिटी एश्योरेंस ऑथोरिटी (QAA), हरियाणा द्वारा क्यूसीआई और NABL के साथ दो महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. इस पहल का सीधा उद्देश्य राज्य में सार्वजनिक निर्माण कार्यों, कृषि मंडियों और प्रयोगशाला परीक्षण प्रणालियों को अधिक वैज्ञानिक, आधुनिक और पारदर्शी बनाना है.
समारोह के दौरान QAA हरियाणा के चेयरपर्सन राजीव अरोड़ा और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के महासचिव चक्रवर्ती टी. कनन ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जबकि NABL के चेयरमैन डॉ. संदीप शाह भी उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये समझौते हरियाणा में तकनीकी दक्षता, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली और सार्वजनिक परियोजनाओं की विश्वसनीयता को नई ऊंचाई देंगे.
मुख्यमंत्री सैनी ने विशेष रूप से NABL के साथ हुए समझौते को कृषि क्षेत्र के लिए गेमचेंजर बताया. उन्होंने कहा कि मंडियों में NABL मान्यता प्राप्त आधुनिक लैब्स स्थापित होने से किसानों की फसल (उपज) का वैज्ञानिक और सटीक मूल्यांकन तुरंत संभव हो सकेगा.
मंडियों में नमी यानी मॉइस्चर मापने वाली अत्याधुनिक मशीनें लगने से किसानों को अपनी उपज की सही गुणवत्ता रिपोर्ट मिलेगी, जिससे खरीद प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी और किसान को सही मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा. मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि NABL की तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए इन लैब्स की स्थापना को प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में सड़कें, पुल, इमारतें और शहरी अवसंरचना तेजी से विकसित हो रही हैं, ऐसे में हर परियोजना को उच्च गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पूरा करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इन समझौतों के बाद इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और निर्माण एजेंसियों को आधुनिक तकनीक, डिजिटल टूल्स और गुणवत्ता प्रणालियों का बड़ा लाभ मिलेगा, जिससे सार्वजनिक निर्माण कार्यों की गति और सटीकता दोनों में सुधार होगा.
क्यूसीआई के साथ हुए एमओयू के तहत राज्य के इंजीनियरों, साइट पर्यवेक्षकों और ठेकेदारों को व्यापक तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस प्रशिक्षण में BIM, GIS, ड्रोन टेक्नोलॉजी, डिजिटल कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट जैसी आधुनिक तकनीकों को शामिल किया जाएगा. इसके साथ ही सुरक्षा मानकों, पर्यावरण-अनुकूल निर्माण तकनीकों, कचरा प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर विशेषज्ञ प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा. इससे डीपीआर बनाने की गुणवत्ता, डिजाइन वेरिफिकेशन और साइट सुपरविजन में प्रत्यक्ष सुधार होगा.
दूसरी ओर NABL के साथ हुए समझौते से राज्य की प्रयोगशाला परीक्षण प्रणाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मजबूत होगी. NABL मान्यता प्राप्त लैब्स की रिपोर्टें वैज्ञानिक रूप से अधिक विश्वसनीय मानी जाती हैं, जिससे सरकारी परियोजनाओं की निगरानी क्षमता बढ़ेगी और परीक्षण त्रुटियों में कमी आएगी. यह कदम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में भी सहायक सिद्ध होगा और राज्य का लैब इकोसिस्टम अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा.
समारोह में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. साकेत कुमार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. यह पहल हरियाणा में गुणवत्ता आधारित सुशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखी जा रही है.