भारत एक समय पर काजू के निर्यात में शीर्ष पर रहता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां उत्पादन प्रभावित होने से निर्यात काफी घट गया है. वहीं, अब काजू का बाजार छुट्टियों के कारण मंदी से जूझ रहा है. बाजार में पहले के कुछ महीनों के मुकाबले काजू की कीमतें लगभग 8 प्रतिशत तक कम हो गई है. हालांकि, जनवरी में फिर से मांंग तेज होने से दाम बढ़ने की संभावना है. नटकिंग ब्रांड के मालिक बीटा ग्रुप के चेयरमैन जे राजमोहन पिल्लई ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में यहां से बड़ी मात्रा में काजू का निर्यात किया जाता है, लेकिन इस बार इन जगहों से उम्मीद से कम डिमांड रही, जिसके कारण कीमतों पर असर पड़ रहा है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपाेर्ट के मुताबिक, जे राजमोहन पिल्लई ने कहा कि अभी बाजार में थोड़ी मंद है, लेकिन नए साल और जनवरी में दक्षिण भारत में त्योहारों के दौरान काजू की मांग में उछाल आएगा. ऐसा होने से कीमतें एक बार फिर स्थिर होने में मदद मिलेगी. वियतनाम WW320 कर्नेल काजू अभी लगभग 1600 से 1620 डॉलर प्रति टन बिक रहा है.
वहीं, भारत से निर्यात होने वाले काजू की कीमतें भी काफी कम हुई हैं. कुछ विक्रेता 1700 डॉलर से कम पर भी काजू बेचने के लिए तैयार हैं. वहीं, गिनी बिसाऊ में कच्चे काजू की कीमतें 1,590 डॉलर, इंडोनेशिया में 1,884 डॉलर और तंजानिया में 1,864 डॉलर दर्ज की गईं.
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विजयलक्ष्मी कैश्यू कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर प्रताप नायर ने कहा कि ईस्ट अफ्रीकन देशों में काजू की अच्छी फसल हुई है और भारत में दिवाली के बाद काजू की बिक्री घटी है. यही वजह है कि कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. बंपर पैदावार के कारण कई बाजारों में सप्लाई की समस्याएं भी कम हुई हैं. प्रताप नायर ने कहा कि दिसंबर में हमेशा से ही काजू की खपत कम रही है. जनवरी में शादी का सीजन शुरू होने पर फिर से मांग बढ़ने की उम्मीद है. वहीं, मार्च तक अगला उत्पादन भी बाजार में आने से सप्लाई और बढ़ सकती है.
प्रताप नायर ने कहा कि इस साल अल नीनो के कारण भारत और वियतनाम के अलावा कई पश्चिमी अफ्रीकी देशों में काजू के उत्पादन पर असर पड़ा है. फसलों में नमी के कारण उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ा और यही वजह रही कि कुछ महीने पहले तक कीमतें बहुत ऊपर चली गईं. हालांकि, कई पूर्वी अफ्रीकी देशों में अच्छा उत्पादन होने से और दिवाली के बाद बाजार में मांग कम होने से कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है.