
राजस्थान की अलवर मंडी देश में नासिक के बाद प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. अलवर से देश के अलावा अन्य देशों में भी प्याज सप्लाई होती है. अलवर का प्याज स्वाद में अच्छा होता है. इसलिए इस प्याज की डिमांड भी खासी रहती है. इस बार प्याज किसानों को रुला रहा है. किसानों को प्याज के दाम नहीं मिल रहे हैं.
अलवर की मंडी में प्याज की आवक शुरू हुई है, लेकिन किसान के पसीने छूट रहे हैं. किसान का फसल बुवाई का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. इसलिए किसान हताश हो चुका है. किसान को डर है कि आखिर उसका कर्ज कैसे चूकेगा और बच्चों की शादी इस साल कैसे होगी.
अलवर, दौसा, भरतपुर, करौली सहित आसपास क्षेत्र में प्याज की पैदावार होती है. इस बार अलवर क्षेत्र में 60 हजार हेक्टेयर खेत में प्याज की बुवाई हुई है. बीते साल किसान को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. इसलिए इस साल किसान ने प्याज की ज्यादा पैदावार की है, लेकिन बारिश में मौसम के चलते प्याज की फसल खराब हो गई थी.
जिन किसानों ने प्याज की फसल की पहले बुवाई की थी. उन किसानों का प्याज अब मंडी में पहुंचने लगा है लेकिन किसानों को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में किसान परेशान है. मंडी में प्याज 200 रुपये से 600 रुपये तक प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है.
ऐसे में किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है. एक बीघा प्याज की फसल की बुवाई में 50 से 65 हजार रुपये का खर्चा आता है. किसान ब्याज पर पैसे लेकर फसल की बुवाई करता है.
इस बार किसान को डर है कि उसका ब्याज कैसे चुकता होगा. साथ ही बच्चों के शादी विवाह कैसे होंगे क्योंकि फसल बेचने के बाद किसान बच्चों की शादी करता है.
एक मंडी विशेषज्ञ ने बताया कि मार्केट में अभी कर्नाटक और महाराष्ट्र का प्याज बिक रहा है. उससे प्याज का बाजार में स्टॉक है. अलवर के प्याज की डिमांड बाजार में नहीं है. इसलिए किसानों को बेहतर दाम नहीं मिल रहा है. अलवर के प्याज में नमी रहती है. इसलिए अलवर के प्याज को किसान स्टॉक नहीं कर सकता है. ना ही व्यापारी इस प्यास को स्टॉक करते हैं.
अलवर का प्याज सीधे मंडी में आता है और मंडी में देश भर के खरीददार प्याज को खरीद कर अलग-अलग शहरों में सप्लाई करते हैं. प्याज के गिरते भाव को देखकर किसान खून के आंसू रो रहा है. प्याज किसानों के हालात पूरी तरह से खराब हैं.
विशेषज्ञ बताते हैं कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज की पैदावार इस बार बेहतर हुई है. वहां का प्याज मोटा और देखने में अच्छा होता है. इसलिए मंडी में उसकी डिमांड ज्यादा रहती है. नासिक सबसे बड़ी मंडी है और नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है.
हालांकि अलवर मंडी में ही प्याज की कीमतें नहीं गिरीं बल्कि सभी मंडियों में यही हाल है. महाराष्ट्र की सभी मंडियों में कीमतों का यही हाल है. वहां के किसान लंबे दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से प्याज की बेहतर कीमतों की मांग कर रहे हैं. नासिक आसपास के इलाकों में प्याज की बड़े पैमाने पर खेती होती है और यहां के किसानों की रोजी-रोजी इसी प्याज पर चलती है. दाम गिरने से किसानों की आजीविका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.