उत्तर प्रदेश में किसने की आत्महत्या (Farmer suicide) करने का सिलसिला नहीं थम रहा है. कहीं सूखे की चपेट में आने से किसान ने फांसी लगाई तो कहीं कर्ज के बोझ से परेशान होकर मौत को गले लगाया. ताजा मामला ललितपुर का है जहां युवा किसान ने फसल खराब होने की सदमें के चलते कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. युवा किसान प्रीतम अहिरवार के परिजनों ने बताया कि सवा एकड़ भूमि पर प्रीतम ने उड़द की फसल लगाई थी लेकिन सूखे के चलते पूरी फसल बर्बाद हो गई. फसल खराब होने के सदमें के चलते प्रीतम ने फांसी लगाई. 3 दिन पहले कानपुर देहात में भी किसान ने कर्ज के चलते आत्महत्या कर ली थी.
खरीफ सीजन के अंतर्गत किसान उरद, अरहर, तिल के साथ-साथ बड़े पैमाने पर धान की फसल लगाई है. वही इस बार मानसून की बारिश से कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं. बुंदेलखंड के साथ जनपदों में अभी तक सामान्य से कम बारिश हुई है. अब सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं जिसके चलते किसानों की खेती सूखने लगी है. ललितपुर जनपद के पास के रहने वाले प्रीतम अहिरवार की उड़द की फसल सूख गई जिसके चलते उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि राजस्व विभाग के अधिकारी फसल खराब होने से जोड़कर इस आत्महत्या को नहीं देख रहें हैं. वही ग्रामीणों का कमाना है कि इस बार अगर बारिश अच्छी नहीं हुई तो सूखे के चलते किसानों के लिए बड़ी मुसीबत होगी. ऐसे में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ेगी।
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कानपुर देहात में 3 दिन पहले सांड के हमले से घायल होकर किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. मृतक किसान मंगलपुर गांव का रहने वाला है. किसान के पास एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें 6 बीघे फसल के बर्बाद होने के चलते कर्ज की रकम नहीं चुका पाने की वजह से आत्महत्या करने की बात सामने आई है. मृतक किसान चंद्रपाल सिंह ने सुसाइड नोट को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम से संबोधित करके लिखा था. किसान ने किसान क्रेडिट कार्ड पर ₹360000 का कर्ज लिया था जिसे चुकाने में असफल रहा. रबी की गेहूं की फसल अच्छी ना होने से कर्ज के सदमें से ज्यादा परेशान थे. सुसाइड नोट में किसान ने लिखा था की फसल खराब होने के बाद भी लेखपाल ने नुकसान का सर्वे तक नहीं किया था जिसके चलते उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला था. परिजनों ने बताया कि चंद्रपाल ने कर्ज चुकाने के लिए एक बीघे खेत को ₹60000 पर गिरवी भी रखा था.
अल-नीनो का असर इस बार बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों पर हावी होने लगा है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक बुंदेलखंड और कानपुर मंडल के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी इस बार सामान्य से कम बारिश हुई है. वही 30 सितंबर तक बारिश की संभावना भी कम दिखाई दे रही है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर बारिश कम हुई तो किसान की फसल को ज्यादा नुकसान होगा और उत्पादन बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा.
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