शंभू बॉर्डर खोले जाने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है. हालांकि इसे खोले जाने को लेकर किसानों और अधिकारियों की बैठक हो रही है. पंजाब और हरियाणा पुलिस के अधिकारियों और शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे आंदोलनकारी किसान यूनियनों के बीच हुई दूसरी बैठक भी बिना की ठोस नतीजे के समाप्त हो गई. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद से शंभू बॉर्डर को खोलने के लिए और आंदोलन कर रहे किसानों को वहां से हटाने के लिए पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसी प्रयास के तहत किसानों के साथ बैठक भी बुलाई गई थी.
हालांकि बैठक में शामिल अधिकारियों में कहा कि बैठक शांतिपूर्ण माहौल में हुई और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी हुई. दैनिक द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि शंभू बॉर्डर को खोलना एक महत्वपूर्ण विषय है. इसलिए वे इस मसले को सुलझाने के लिए आगे और भी बैठक करने के लिए तैयार हैं. बैठक में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा कि किसान दिल्ली मार्च पर अड़े हुए हैं. इस मुद्दे पर उनसे अधिक बातचीत करने की जरूरत है. इसके अलावा और भी कुछ मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है. हालांकि अच्छी बात यह है कि दोनों ही पक्ष इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं.
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बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए किसान मजदूर मोर्चा (केएमएस) के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेडिंग को खोलने के साथ हमारा कोई मुद्दा या एजेंडा नहीं है. हम सिर्फ धरना हटा सकते हैं. बैरिकेडिंग हटाने का काम हरियाणा सरकार का है क्योंकि उन्होंने ही पत्थरों से बैरिकेडिंग करके रोड को ब्लॉक कर दिया है. किसान नेता ने कहा कि वो पहले से ही मांग कर रहे हैं कि हाईवे को यात्रियों के लिए खोल दिया जाए. जबकि हरियाणा सरकार ही कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है. सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि इस मामले में उनका स्टैंड क्लियर है. उन्होंने रोड को ब्लॉक नहीं किया है.
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किसान नेता पंढेर ने आगे कहा कि उन्हें हाईवे को खोले जाने में कोई आपत्ति नहीं है. इसलिए वे सरकार के साथ बातचीत या मीटिंग के लिए हमेशा तैयार हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी बाद में भी आकर देख सकते हैं कि हमने ट्रैफिक को ब्लॉक नहीं किया है. बता दें कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि पंजाब और हरियाणा सरकार के प्रतिनिधि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बैठक करें ताकि किसान शंभू बॉर्डर से अपने ट्रैक्टर और ट्रेलर को हटाने के लिए तैयार हो जाएं. इसके बाद दोनों राज्यों के अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठक की थी और हाईवे को आंशिक रूप से खोलने पर सहमति भी बनी थी. किसान अपने ट्रैक्टर और ट्रेलर के साथ दिल्ली मार्च करने के लिए अड़े हुए हैं.