इस खरीद सीजन की शुरुआत से ही, तकनीक देश के कपास किसानों की परेशानी कम करेगी. देश के 60 लाख कपास किसानों में से 16 लाख किसान पहले से ही भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा बनाए गए कपास किसान ऐप पर हैं, जो रेशा खरीद का केंद्र बिंदु बनने वाला है. यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म किसानों को बाज़ारों और सीसीआई से जोड़ता है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होती है.
भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एल के गुप्ता ने एक अंग्रेजी अखबार 'बिज़नेसलाइन' को बताया कि इस सीजन की शुरुआत से, कपास किसान अगले सात दिनों में अपनी उपज बेचने के लिए स्लॉट बुक कर सकते हैं. वे अपनी उपज निर्धारित खरीद केंद्र पर ला सकते हैं. अपनी बारी का इंतजार किए बिना, वे अपनी उपज बेचने के लिए बस अपना दिन चुन सकते हैं. किसानों को ऐप पर पंजीकरण कराने के लिए कपास की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र और अपने आधार कार्ड सहित आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे. उन्होंने कहा कि इसके बाद हम डेटा की पुष्टि के लिए संबंधित राज्य सरकारों को जानकारी भेजेंगे. उन्होंने कहा कि वे ऐप पर अपनी भुगतान स्थिति भी देख सकते हैं.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास खरीदने के लिए नामित प्राधिकरण ने पिछले साल 37,500 करोड़ रुपये खर्च करके 5.05 करोड़ क्विंटल कपास खरीदा था. चालू साल के लिए एमएसपी 7,710 रुपये (मध्यम स्टेपल के लिए) और 8,110 रुपये (लंबे स्टेपल के लिए) है. एल के गुप्ता ने कहा कि हमारे पास कोई लक्ष्य नहीं है. हमारा काम खरीद केंद्रों पर आने वाले सभी कपास को खरीदना है. उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में 1 अक्टूबर से ही खरीद शुरू हो चुकी है. मध्य भारत में यह 15 अक्टूबर से और दक्षिण भारत में 21 अक्टूबर से शुरू होगी. खरीद प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निगम ने इस साल 10 प्रतिशत ज़्यादा केंद्र खोले हैं, जिससे कुल केंद्रों की संख्या 550 हो गई है.
सीसीआई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने आगे कहा कि प्रत्येक क्रय केंद्र के लिए कम से कम 3,000 हेक्टेयर कपास रकबा और एक जिनिंग मिल होना अनिवार्य कर दिया है. इस प्रक्रिया में हमने कुछ ऐसे केंद्रों को बंद कर दिया है जो मानदंडों पर खरे नहीं उतरते थे और नए केंद्र खोले हैं. 2025-26 में कपास की खेती का रकबा 79.54 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष (2024-25) के 78.58 लाख हेक्टेयर से अधिक है. कपास रकबे में महाराष्ट्र 30.79 लाख हेक्टेयर के साथ सबसे आगे है, उसके बाद गुजरात (14 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (12.42 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (6.02 लाख हेक्टेयर) और कर्नाटक (4.67 लाख हेक्टेयर) का स्थान है. प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएयू) के कृषि बाजार इंटेलीजेंस केंद्र ने सितंबर 2025 में कीमत 6,800-7,200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आंकी है.
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