नई दिल्ली. पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात के खिलाफ देशभर के किसान संगठनों और व्यापारिक संगठनों ने आवाज तेज कर दी है. इसी मुद्दे पर किसान महापंचायत ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है, जिसपर अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि सस्ते आयात से घरेलू दलहन किसानों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है और उनकी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे बिक रही है. इस बीच, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की गुहार सुनने में विफल रही है.
शंकर ठक्कर ने कहा कि पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात दलहन बाजार को बिगाड़ रहा है. तूर, मूंग और उड़द जैसी दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 85 रुपये प्रति किलो है, जबकि आयातित पीली मटर करीब 35 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है. इससे किसानों को 20 से 45% तक नुकसान उठाना पड़ रहा है और सरकार की खरीद न होने से हालात और बिगड़ रहे हैं.
ठक्कर ने कहा कि कैट, ग्रोमा और अन्य संगठनों ने पहले ही मांग की थी कि सरकार तुरंत शुल्क मुक्त आयात बंद करे और पीली मटर पर कम से कम 50% आयात शुल्क लगाए, ताकि दलहन किसानों को राहत मिल सके. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह स्थिति बनी रही तो किसान अगले सीजन में दलहन की फसलें बोने से पीछे हट सकते हैं, जिससे देश में उत्पादन और घट जाएगा और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्रभावित होगा.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसान महापंचायत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि सरकार का यह कदम किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है और स्थिति इतनी गंभीर है कि आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय और नीति आयोग दोनों पहले ही पीली मटर आयात के खिलाफ राय दे चुके हैं. भूषण ने अदालत से अपील की कि सरकार को घरेलू दाल उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए न कि सस्ती मटर के आयात पर निर्भर रहना चाहिए.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि नोटिस जारी करने के लिए वे तैयार हैं, लेकिन इसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ना चाहिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर आयात पर रोक लगाई जाती है तो बाजार में कमी की स्थिति नहीं आनी चाहिए.
वहीं, शंकर ठक्कर ने कहा कि सरकार को किसानों की मजबूरी समझनी चाहिए और कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना ही इस मुद्दे पर कदम उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब भी देर नहीं हुई है, सरकार अगर तुरंत शुल्क मुक्त आयात पर रोक लगाकर शुल्क लागू करे तो आने वाले वर्षों में भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकेगा.