
भारत सरकार ने पीली मटर के आयात पर फिर से ड्यूटी लगाकर बड़ा कदम उठाया है. अब 1 नवंबर 2025 से इस दाल के आयात पर 10% मानक दर और 20% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) लागू हो चुके हैं. यानी इपोर्ट पर कुल 30% टैक्स लगेगा. यह अधिसूचना वित्त मंत्रालय ने 29 अक्टूबर को जारी की थी. इस फैसले से विदेशी मटर के सस्ते आयात पर रोक लगेगी और देश के दलहन किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है. ऐसे में ‘किसान महापंचायत’ ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
लंबे समय से किसानों को एमएसपी से कम दाम पर अरहर, उड़द और मूंग जैसी दालें बेचनी पड़ रही थीं. ऐसे में ड्यूटी फ्री आयात से उनकी स्थिति और बिगड़ रही थी. अब सरकार ने किसानों की आवाज सुनी है. संगठन ने कहा कि जब विदेशी मटर बिना शुल्क के आती है, तो मंडियों में देसी दालों के दाम गिर जाते हैं और किसान को उसकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पाता.
किसान महापंचायत की ओर से जारी प्रेस बयान में रामपाल जाट के हवाले से कहा गया कि किसान महापंचायत ने इसी मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्जल भुइयां और नोगमीकापम कोटेश्वर सिंह की पीठ ने 25 सितंबर 2025 को याचिका पर संज्ञान लिया था और भारत सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने अगली सुनवाई 28 नवंबर के लिए तय की है. जाट का कहना है कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही केंद्र सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि यह किसानों की जीत है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है.
किसान महापंचायत ने कहा कि दलहन फसलों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बावजूद किसान अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं. संगठन के कार्यालय सचिव गोपाल सैनी ने कहा कि फिलहाल अरहर के भाव MSP से 27% कम हैं और जल्द ही चना उत्पादक किसानों को भी इसी संकट का सामना करना पड़ेगा.
सैनी ने बताया कि एग्री फार्मर्स एवं ट्रेडर्स एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर सरकार से गुहार लगाई थी, पर स्थिति जस की तस बनी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार संसद में कई बार यह आश्वासन दे चुकी है कि किसी किसान को MSP से कम पर फसल बेचनी नहीं पड़ेगी, लेकिन हकीकत इसके उलट है.
किसान महापंचायत ने सरकार से मांग की है कि चना और मूंग की खरीद पर लागू 25 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाए, क्योंकि यह नीति देश को दलहनों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में रुकावट है. किसान महापंचायत ने मांग की है कि सरकार सभी दालों पर जल्द से जल्द एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद की व्यवस्था लागू करे और किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए.