प्रचंड ठंड के बाद गर्मियों ने दस्तक दे दी है. माना जा रहा है इस साल गर्मी भी अपना प्रचंड रूप दिखाएगी. इसी कड़ी में अप्रैल में ही मौसम विभाग ने देश के कई राज्यों के लिए लू का अलर्ट जारी किया है. वहीं पिछले सालों की तुलना में इस गर्मी अधिक लू चलने का पूर्वानुमान मौसम विभाग की तरफ से जारी किया गया है. आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि लू यानी Heat Wave क्या होती है. कैसे लू की पहचान होती है. लू से किसे और कितना नुकसान हो सकता है. मसलन, कोशिश करेंगे कि लू से जुड़े हर सवाल का जवाब यहां पर दिया जाए.
लू यानी हीट वेब क्या होती हैं. इस सवाल का जवाब अंग्रेजी शब्द हीट वेब से खोजने की कोशिश करते हैं, जिसमें Heat (हीट) यानी गर्म और Wave (वेब) यानी लहर लू को ठीक से परिभाषित करने के लिए काफी है. सीधे तौर पर कहा जाए तो गर्मी के सीजन में चलने वाली तेज, गर्म और शुष्क हवाओं को लू यानी Heat Wave कहा जाता है. मौसम विभाग के अनुसार क्षेत्र विशेष में सामान्य तापमान की तुलना में अधिकतम तापमान वाली अवधि को लू कहा जाता है. लू में अधिक आर्द्रता और तेज गर्म हवाएं चल सकती हैं.
गर्मियों के सीजन में तापमान में बढ़ोतरी होती है. ऐसे में चलने वाली हवाएं अमूमन गर्म ही होती हैं. इन हालातों में कौन सी हवाएं लू हैं, इसकी पहचान करना सामान्य तौर पर चुनाैतिपूर्ण होता है, लेकिन मौसम विभाग ने सामान्य हवाओं और लू की अवधि को ठीक से परिभाषित किया हुआ है. मौसम विभाग के अनुसार मैदानी क्षेत्रों में जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री से अधिक हो जाता है, इसे लू माना जाता है.
मौसम विभाग की तरफ से इसे भी विस्तार दिया गया है, जिसके तहत मौसम विभाग का कहना है कि अगर किसी क्षेत्र अधिकतम तापमान 45 डिग्री से अधिक होता है उस क्षेत्र को लू क्षेत्र कहा जाता है,जबकि 47 डिग्री से अधिक तापमान वाले क्षेत्र में गंंभीर लू की श्रेणी में रखा जाता है.
भारत में लू की समयावधि की बात करें ताे मुख्य रूप से मार्च से जून तक लू चलती है. इसमें मई का महीना लू के लिए सबसे संवेदनशील होता है. यानी इस महीने लू का पीक होता है. वहीं कभी कभी जुलाई के महीने लू भी दर्ज की जाती है.
भारत के जिन राज्यों में लू का असर रहता है, उसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, वेस्ट बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ हिस्से शामिल हैं.
भारत में हीट वेब यानी लू मापने के पैमाने के बारे में जानने के बाद ये जरूरी है कि दुनिया में हीट वेब मांपने के पैमाने को समझा जाए. इस सवाल का जवाब देते हुए मौसम विभाग का कहना है कि दुनियाभर में हीट वेब घोषित करने के अलग अलग पैमाने हैं. कुछ देशों में सामान्य तापमान की तुलना में तापमान में बढ़ोतरी पर लू घोषित की जाती है. कुछ देशों में आद्रर्ता या अधिकतम तापमान की स्थिति को लू के तौर पर परिभाषित किया जाता है.
गर्मी के सीजन में अमूमन भारतीय लू का शिकार हो जाते हैं. साधारण शब्दों में कहें तो लू के संपर्क में आने से मानव शरीर को होने वाले प्रभाव को लू लगाना कहा जा सकता है. असल में लू दो तरह से प्रभावित करती है, जिसमें एक अधिक आर्द्रता है तो वहीं दूसरी वजह से अधिक तापमान वाली हवा की गति है. असल में लू की वजह से आर्द्रता अधिक हो जाती है, ऐसे में पसीने के माध्यम से शरीर के वाष्पीकरण की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है. यानी पसीना कम निकलने लगता है, इससे शरीर को कुलिंग प्रोसेस कम काम करने लगता है. क्योंकि पसीना सामान्य रहने से कुलिंंग प्रोसेस बेहतर रहता है और अधिक आर्द्रता इसे प्रभावित करती है.
वहीं अधिक तापमान वाली तेज हवा से मानव शरीर को होने वाले नुकसान को समझने की कोशिश करें तो ये हवाएं मानव शरीर के संपर्क में आने पर शरीर का तापमान बढ़ा देती हैं, जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं.