दुनिया भर में चावल की लाखों किस्में हैं. भारत में उगाई जाने वाली बासमती, सोना मंसूरी जैसी चावल की कई किस्में दुनियाभर में लोकप्रिय भी हैं, लेकिन इन दिनों गोल्डन राइस को लेकर दुनियाभर में हंगामा बरपा हुआ है. आलम ये है कि गोल्डन राइस को लेकर बौद्धिक गैंगवार जैसे हालत बनते हुए दिख रहे हैं. गोल्डन राइस इन दिनों फिलिपींंस की वजह से सुर्खियों में बना हुआ है, जहां की एक अदालत ने गोल्डन राइस के उत्पादन पर रोक लगा दी है. इसके बाद गोल्डन राइस को लेकर ग्लोबली महौल गर्मा गया है. आइए इसी कड़ी में समझते हैं कि ग्लोडन राइस क्या है. क्यों फिलिपिंस की अदालत ने गोल्डन राइस के उत्पादन पर रोक लगाई है. कोशिश करेंगे कि गोल्डन राइस से जुड़े हर सवाल का जवाब ढूंढा जाए.
जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से तैयार चावल की एक नई किस्म को गोल्डन राइस कहा जाता है, जिसका नाम उसके सुर्ख पीले-नारंगी या सुनहरे रंंग की वजह से गोल्डन राइस पड़ा है. सीधी सी बात गोल्डन राइस एक जीएम फसल है.इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंंस्टीट्यूट (IRRI) के अनुसार गोल्डन राइस में जेनिटिक इंजीनियरिंंग से बीटा कैरोटीन योगिक जोड़ा गया है, मालूम हो कि बीटा कैरोटिन हरी पत्तेदार सब्जियों, पीले रंंग की सब्जियों और नारंगी रंग के फलों में पाए जाने वाला प्राेविटामिन A है, जिसे मानव शरीर अपनी जरूरतों के अनुसार विटामिन A में बदलता है.
IRRI के अनुसार स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एमेरिटस प्रो इंगो पोट्रीकस व जर्मनी के फ्रीबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रो पीटर बेयर ने रॉकफेलर फाउंडेशन की पहल पर साल 1982 में गोल्डन राइस पर रिसर्च शुरू की.तकरीबन 10 साल की रिसर्च के बाद 1992 में न्यूर्याक के कई ग्रुप इस प्रोजेक्ट से जुड़े और साल 1999 में जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से चावल के दानों में बीटा कैरोटीन को मिलाया गया. इसके बाद इसकी किस्म में और सुधार के काम हुए और बीटा कैरोटीन की मात्रा 20 गुना तक बढ़ाई गई. IRRI के अनुसार विटामिन ए के पोषण की समस्या से निपटने के लिए साल 2004 में फिलीपींस, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देशों काे गोल्डन राइस दान कर दिया गया.
एशिया समेत दुनिया के कई देशों की मुख्य खुराक चावल ही है. वहीं दुनिया की बड़ी आबादी विटामिन A की कमी का सामना कर रही है, जो दुनिया भर में लाखों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है. ऐसे में विटामिन A की खुराक के साथ गोल्डन राइस की अवधारणा को IRRI आगे बढ़ा रहा है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक कप गोल्डन राइस एक वयस्क की दैनिक विटामिन ए की कुल आवश्यकता का 50 फीसदी पूरा कर सकता है. विटामिन A की कमी से रतौंधी, अधिक संक्रमण, बच्चों के विकास में समस्या, प्रजनन संंबंधी समस्या हो सकती है.
IRRI के अनुसार गोल्डन राइस की खेती के लिए किसी विशेष इंतजाम की जरूरत नहीं पड़ती है. किसी भी साधारण चावल यानी धान की तरह ही गोल्डन राइस की खेती की जा सकती है. वहीं किसी भी साधारण चावल की तरह ही इसका उत्पादन भी होता है.
IRRI भले ही गोल्डन राइस को विटामिन A की कमी से जुड़ी समस्या का समाधान कह रहा है, लेकिन गोल्डन राइस का विरोध भी होता रहा है. असल में 2019 में बांग्लादेश में गोल्डन राइस के परीक्षण का फैसला लिया गया था, जिसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए. हालांकि फिलिपींस ने सबसे पहले जुलाई 2021 में गोल्डन राइस के व्यावसायिक प्रसार के लिए जैव सुरक्षा परमिट जारी किया, जिसके बाद साल 2022 में राेपाई के लिए किसानों को बीज दिए गए.
फिलिपींस की एक अदालत ने बीते दिनों गोल्डन राइस के व्यवसायिक प्रसार के लिए जैव सुरक्षा परमिट रद्द कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में गोल्डन राइस से संबंधित व्यावसायिक प्रचार, क्षेत्र परीक्षण और गतिविधियों के संचालन को तब तक रोकने का आदेश दिया है, जब तक कि सभी सुरक्षा, स्वास्थ्य और कानूनी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता. वहीं अदालत ने सरकारी एजेंसियां से सभी कानूनी आवश्यकताओं के अनुपालन का प्रमाण प्रस्तुत करने को भी कहा है. अदालत ने अपने फैसले में पाया है कि सरकार ने गोल्डन राइस उगाने और उपभोग करने की सुरक्षा की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित नहीं किया है. वहीं इस फैसले के बाद हंगामा मचा हुआ है. जीएम फसल समर्थकों का दावा है कि अदालत के इस फैसले से विटामिन A की कमी वाले बच्चों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.