गुजरात के जूनागढ़ में उगाया जाने वाला केसर जल्द ही अल्फॉन्सो की जगह ले सकता है. यह आम अपनी मिठास के साथ ही साथ कठोरता के लिए अमेरिका में बसे प्रवासियों के बीच मजबूत पहचान बनाता जा रहा है. पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में केसर ने अल्फॉन्सो को पीछे छोड़ते हुए भारत के टॉप एक्सपोर्टर की जगह हासिल कर ली है. यह आम जितना मीठा है, इसका इतिहास उतना ही खास है. आइए आज हम आपको इस आम के इतिहास और इसके नाम के पीछे की कहानी को बताते हैं.
वेबसाइट alphonsomango.co.uk के अनुसार केसर आम का इतिहास सन् 1900 दशक की शुरुआत से जुड़ा हुआ है जब भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात में इसे पहली बार उगाया गया था. इसकी शुरुआत भले ही साधारण हुई थी लेकिन आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हो चुका है. अगर अल्फांसो 'फलों का राजा' है तो केसर को 'फलों की रानी' का दर्जा मिला हुआ है. इसके पल्प के रंग की वजह से इसका नाम केसर पड़ा है जो एकदम केसरिया या नारंगी रंग का होता है.
कहते हैं कि सन् 1931 में बड़े पैमाने पर केसर की खेती शुरू हुई थी. उस समय जूनागढ़ के वजीर साले भाई ने गुजरात के वंथली में गिरनार पहाड़ियों के पास लाल डोरी फार्म में करीब 75 कलमों की खेती की थी. इस क्षेत्र की खास जलवायु और मिट्टी में लगाए गई, उन पहले कलमों ने आम की एक बिल्कुल नई किस्म को जन्म दिया. गिरनार की पहाड़ियों में स्थित होने की वजह से इस आम को 'गिर केसर' नाम मिला. गिर केसर आम विशेष तौर पर गुजरात के जूनागढ़ और अमरेली जिलों में गिर जंगल के करीब उगाया जाता है. इस आम की खेती जूनागढ़ जिले के जूनागढ़, वंथली, मेंदरदा, तलाला, मालिया, कोडिनार, ऊना और विसावदर के साथ-साथ अमरेली जिले के धारी और खंभा सहित कई गांवों के किसान करते हैं.
सन् 1934 में जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खान (III)ने केसर आम का स्वाद चखा. वह इसके चमकीले नारंगी रंग के अलावा इसके मीठे स्वाद और खुशबू से काफी प्रभावित हुए थे. उन्होंने ही इस आम को 'केसर' घोषित किया जो पल्प की वजह से था. यहीं से इस आम को एक नई पहचान मिल गई थी. केसर आम को उसके खास गुणों की वजह से काफी पसंद किया जाता है. इसकी खुशबूदार मीठी और मनमोहक सुगंध के अलावा, इसका पल्प और इसकी बनावट इसे बाकी किस्मों की तुलना में काफी खास बना देती है. केसर आम विटामिन ए और सी के साथ ही कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है.
केसर आम के बारे में कहा जाता है कि यह गुजरात में ही पनप सकते हैं. इसके पेड़ों को गुजरात की रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी पसंद है जिसका pH 5.5-7.5 के बीच है. मिट्टी की ये परिस्थितियां ही इसकी मजबूत जड़ों और रसीले फल को सुनिश्चित करती हैं. यह मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली होती है जिससे पानी भरता नहीं है. साथ ही मिट्टी कई तरह के पोषक तत्वों से लैस होती है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जूनागढ़ की जलवायु गोल्डीलॉक्स क्लाइमेट के तहत आती है यानी बहुत गीली और न बहुत सूखी. गुजरात की अर्ध-शुष्क गर्मी, विशेष तौर पर गिरनार पहाड़ियों के पास, तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. इसके अलावा भरपूर धूप और मानसून की बारिश आमों के लिए जादू का काम करती है. जूनागढ़ में दिन गर्म होता है जो रात ठंडी होती है. इस वजह से केसर आमों को यहां पर पनपने का मौका मिलता है.
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