आज के समय में हर कोई अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता है. खासकर अगर हम नौकरीपेशा लोगों की बात करें तो उनके मन में खुद का बिजनेस शुरू करने की बहुत इच्छा होती है. नौकरी और पैसों की कमी से परेशान होकर वे हर पल खुद के रोजगार के बारे में सोचते हैं. लेकिन सही जानकारी और निवेश की चिंता के कारण वे अक्सर इससे पीछे हट जाते हैं. लेकिन अगर आप भी इसी चाहत को लेकर दिन-रात भटक रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है. आपको बता दें कि हमारे आस-पास ऐसे कई बिजनेस आइडियाज हैं जिनकी मदद से हम बड़ी आसानी से लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं, आइए जानते हैं कौन से हैं वो स्माल बिजनेस आइडियाज.
खुद को स्वस्थ रखने के लिए लोग अब फास्ट फूड से दूर होकर हेल्दी फूड की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में बाजार में हरी सब्जियों और प्रोटीन युक्त फल और सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में बाजार में मशरूम की मांग में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. लोग इसे सिर्फ इसके स्वाद की वजह से ही नहीं बल्कि इसके फायदों की वजह से भी खाना पसंद कर रहे हैं. अगर आप भी मशरूम की खेती करते हैं तो इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में मशरूम की कीमत पीस के हिसाब से तय होती है. मशरूम के 1 बॉक्स की कीमत 100 से 150 रुपये तक होती है. 1 बॉक्स में 10 से 12 पीस मशरूम होते हैं. वहीं सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आर्थिक मदद करने के लिए किसानों की मदद करती है.
मशरूम की खेती के लिए अलग-अलग राज्य सरकारें किसानों को अलग-अलग आर्थिक सहायता दे रही हैं. बिहार सरकार मशरूम की खेती करने वाले किसानों को 50% सब्सिडी दे रही है. यानी 20 लाख रुपये की लागत पर किसानों को 50% सब्सिडी दी जाएगी. यूपी सरकार की बात करें तो अगर आप 20 लाख रुपये तक की मशरूम उत्पादन इकाई लगाते हैं तो आपको सरकार (केंद्र और राज्य) की तरफ से 40% तक सब्सिडी मिलेगी.
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आज के समय में 10 में से 8 लोग शुगर के मरीज पाए जाते हैं. ऐसे में उनके लिए जहां चीनी का सेवन हानिकारक साबित होता है वहीं शहद के लाभकारी विकल्प के रूप में काम करता है.चीनी की जगह शहद का सेवन शुगर लेवल को उतना नहीं बढ़ता है. जिस वजह से बाजार में शहद की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इतना ही नहीं स्वस्थ्य लोग भी अब चीनी की जगह शहद खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में अगर आप भी शहद पालन का काम शुरू करते हैं तो इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में अच्छे शहद की कीमत 700 से 800 रुपये किलो है.
आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन के लिए सरकार आपकी आर्थिक मदद भी करती है. मधुमक्खी पालन के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) ने NABARD के साथ समझौता किया है. इन दोनों ने भारत में मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए वित्तपोषण योजना भी शुरू की है. यह इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा केंद्र सरकार मधुमक्खी पालन पर 80 से 85% तक की सब्सिडी भी देती है.
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पोल्ट्री प्रॉडक्ट की मांग देश में तेजी से बढ़ती नजर आ रही है. अंडों की बात करें तो पीछे साल यानी 2024 में 14 हजार करोड़ टन का उत्पादन हुआ. वहीं चिकेन की बात करें तो पिछले साल 52 लाख टन का उत्पादन हुआ. जिस वजह से इसे एक उभरते व्यापार की नजर से देखा जा रहा है. ऐसे में अगर आप भी ये रोजगार करना चाहते हैं तो सरकार आपकी मदद के लिए तैयार है. आपको बता दें पोल्ट्री फार्मिंग खोलने के लिए सरकार लोन की सुविधा देती है. जिसकी मदद से आप कम दर पर लोन लेकर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं.
जैविक खेती 'जैविक खेती कृषि की एक पद्धति है, जिसमें भूमि, जल और वायु को प्रदूषित किए बिना खेती की जाती है. यानि जैविक खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है. जिसके कारण यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प है. आपको बता दें कि आज के समय में फसलों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान रासायनिक खादों और कीटनाशकों का जमकर प्रयोग करते हैं, जिसका हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जिसे देखते हुए इन दिनों जैविक तरीके से उगाए जाने वाले फलों और सब्जियों की मांग काफी बढ़ गई है. इतना ही नहीं जैविक उत्पादों की कीमत भी बाजार में अन्य फलों और सब्जियों के मुकाबले काफी अधिक है. जैविक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कुल 31,500 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है, जो तीन साल की अवधि में दी जाती है.
छोटे और सीमांत किसानों के लिए बकरी पालन एक बेहतर विकल्प है. छोटे और सीमांत किसान अक्सर खेती के साथ-साथ पशुपालन करना पसंद करते हैं. बकरी पालन किसानों की पहली पसंद है. इसे कम जगह में और किसी भी परिस्थिति में आसानी से पाला जा सकता है. वहीं सरकार बकरी पालन के लिए किसानों को सब्सिडी भी दे रही है. यूपी सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कम से कम 100 और अधिकतम 500 बकरियों की यूनिट लगानी होगी. 100 बकरियों की यूनिट लगाने की कुल लागत 20 लाख रुपये मानी जाती है, जिसमें 50 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपये सब्सिडी का प्रावधान है. वहीं अलग-अलग राज्य सरकारें भी सब्सिडी देती हैं.