देश के कई राज्यों जैसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में रेशम का उत्पादन किया जाता है. रेशम कीट के जरिए रेशम उत्पादन होता है. मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम, राजगढ़ समेत कई जिलों में रेशम का उत्पादन होता है. राज्य के रेशम किसानों को बड़ा फायदा पहुंचने वाला है क्योंकि नर्मदापुरम रेशम विकास केंद्र रेशम के इस्तेमाल से क्रीम, पाउडर समेत कई दूसरे प्रोडक्ट भी बनाएगा. जबकि, रेशम से दवाइयां बनाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में स्थानीय किसानों को रेशम की बिक्री के लिए मुश्किल नहीं होगी और उन्हें स्थानीय स्तर पर ही अच्छी कीमत मिल जाएगी. यानी अब रेशम का इस्तेमाल केवल कपड़ों में ही नहीं दूसरे प्रोडक्ट में भी जमकर होगा.
मध्य प्रदेश के कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग की 'रेशम से समृद्धि योजना' में नवाचार किए जा रहे हैं. नर्मदापुरम जिले के रेशम विकास केंद्र मालाखेड़ी में रेशम से दवाइयों का उत्पादन करने के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गयी है. यहां दवाइयां बनाने के लिए बीते माह फाई ब्रोहित कंपनी और सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, भोपाल के बीच करार हुआ. इसके तहत मालाखेडी रेशम विकास केंद्र में रेशम के धागे से पउडर, क्रीम, सेरी बैंडेज और सिजेरियन ड्रेसिंग आदि का निर्माण किया जाएगा.
रेशम के धागे से दवाइयों के अलावा अन्य प्रकार के प्रोडक्ट बनाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इस दिशा में जरूरी अनुसंधान और विकास कार्यों के लिए 50 करोड़ रुपये की जरूरत का मांग पत्र राज्य सरकार को भेजा गया है. आयुक्त रेशम मोहित बुंदस ने बताया कि रेशम के विकास और विस्तार से जुड़ी सेवाओं के त्वरित क्रियान्वयन के लिये रेशम से समृद्धि योजना में 'न्यू सिल्क ईको सिस्टम' विकसित किया गया है. इसके लिए मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन को 100 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. रेशम विकास गतिविधियों के क्रियान्वयन में जरूरत के अनुसार इस राशि का उपयोग किया जा सकेगा.
आयुक्त रेशम ने बताया कि रेशम संचालनालय की योजनाओं का क्रियान्वयन अब मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन के माध्यम से किया जाएगा. इसके लिए मप्र सिल्क फेडरेशन को जरूरी धनराशि (ग्रान्ट के रूप में) उपलब्ध कराने का प्रस्ताव राज्य शासन को दिया गया है. अधिकारी ने बताया कि रेशम विकास के लिए एक और नवाचारी कदम उठाया जा रहा है. प्रदेश में रेशम विकास गतिविधियों का क्रियान्वयन अब क्लस्टर मोड में करने की शुरुआत कर दी गई है. रेशम गतिविधियों की पुनर्संरचना करते हुये न्यू सिल्क ईको सिस्टम करने के साथ ही पचमढ़ी में सिल्क टेक पार्क भी प्रारंभ किया गया. इसमें चार प्रकार के रेशम ककून का उत्पादन किया जा रहा है.
मध्य प्रदेश सिल्क फेडरेशन को राज्य की स्टार्टअप नीति के तहत इन्क्यूबेटर बनाया गया है. रेशम विकास गतिविधियों के सुचारू क्रियान्वयन के लिये शासकीय महिला पॉलिटेक्निक महाविद्यालय भोपाल के फैशन टेक्नोलॉजी विभाग और IIM इंदौर के मध्य न्यू सिल्क ईको सिस्टम के लिए एक MOU साइन किया गया है. रेशम से समृद्धि योजना में किसानों को उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए मुफ्त रेशमकीट बीज, सरलता से लोन उपलब्ध कराकर उनका निर्यात बढ़ाने के लिए सहायता भी दी जा रही है. शासकीय महिला पॉलिटेक्टिनक महाविद्यालय के फैशन टेक्नालॉजी विभाग में ब्राण्डिंग प्रमोशन योजना में सिल्क केटेनेशन, सिल्क स्टूडियो और सिल्क टूरिज्म शुरू किया गया है.
आयुक्त रेशम ने बताया कि IIM इंदौर के मॉडल पर रेशम विकास गतिविधियां चलाई जा रही हैं. प्रदेश के रेशम उत्पादक किसानों के उत्पादित रेशम ककून का प्रतिस्पर्धा के जरिए अच्छा मूल्य दिलाने के लिए नर्मदापुरम जिले में अक्टूबर 2023 से रेशम ककून मंडी की स्थापना भी की गई है. रेशम के जरिए पाउडर, क्रीम और दवाइयों समेत कई दूसरे प्रोडक्ट बनाए जाने के चलते स्थानीय रेशम किसानों को अच्छी कीमत मिल सकेगी. (आज तक ब्यूरो)