किसानों से 20 लाख टन पराली खरीदेगी यह कंपनी, बिजली बनाने में करेगी इस्‍तेमाल

किसानों से 20 लाख टन पराली खरीदेगी यह कंपनी, बिजली बनाने में करेगी इस्‍तेमाल

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर रोक के लिए एसएईएल इंडस्ट्रीज ने पहल की है. कंपनी 20 लाख टन धान अवशेष खरीदकर स्वच्छ ऊर्जा बनाएगी. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 24, 2025,
  • Updated Oct 24, 2025, 6:55 AM IST

उत्तर भारत में हर साल कटाई के मौसम के बाद बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए एक बड़ी पहल शुरू की गई है, जिसके तहत खेतों में जलने वाली पराली यानी धान के अवशेषों को अब स्वच्छ ऊर्जा में बदला जाएगा. इस अभियान का उद्देश्य पराली जलाने की समस्या पर रोक लगाना और ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का अवसर प्रदान करना है. यह पहल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में चलाई जा रही है, जहां पराली जलाने से हर साल वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है और दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तरी भारत में धुंध और स्मॉग की स्थिति बन जाती है.

20 लाख टन पराली खरीदने का लक्ष्‍य

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी सेल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (SAEL Industries Ltd) ने बताया कि इस साल फसल कटाई के मौसम में वह करीब 20 लाख टन धान की पराली खरीदेगी और उन्हें अपने फ्यूल एग्रीगेटर के माध्यम से स्वच्छ बिजली में बदलेगी. कंपनी का कहना है कि यह कदम न केवल प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगा, बल्कि कृषि अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या का भी समाधान करेगा.

कंपनी के पास है कुल 11 प्‍लांट

SAEL Industries के पास फिलहाल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 11 वेस्ट-टू-एनर्जी (WTE) संयंत्र हैं, जिनकी कुल क्षमता 165 मेगावाट है. इनमें राजस्थान में एक संयंत्र निर्माणाधीन है. इन संयंत्रों के माध्यम से खेतों के अवशेषों को जलाने की बजाय बिजली उत्पादन में उपयोग किया जाएगा.

भारतीय कृषि विज्ञान पत्रिका (Indian Journal of Agronomy) के आंकड़ों के अनुसार, भारत हर साल लगभग 500 मिलियन टन कृषि अवशेष उत्पन्न करता है, जिसमें से करीब 140 मिलियन टन उपयोग नहीं होते और लगभग 92 मिलियन टन खुले में जलाए जाते हैं, जिससे उत्तरी भारत में प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

'अब तक पराली संपदा का काफी कम इस्‍तेमाल हुआ'

सेल इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कार्यकारी निदेशक लक्षित अवला ने कहा, “फसल अवशेष एक ऐसी संभावित संपदा है, जो पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अब तक कम उपयोग में आई है. खेतों के इस अपशिष्ट को स्वच्छ ऊर्जा में बदलकर हम न केवल किसानों को अतिरिक्त आमदनी दे रहे हैं, बल्कि पराली जलाने की पुरानी समस्या का समाधान भी खोज रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि यह पहल मिट्टी की सेहत को बनाए रखने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और सतत ऊर्जा ग्रिड को मजबूत करने में मदद करेगी. कंपनी का कहना है कि पराली से बिजली उत्पादन न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के नए अवसर भी पैदा करेगा. (पीटीआई)

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